देवसेना के गीत के कवि का क्या नाम था?चढ़कर मेरे जीवन-रथ पर, प्रलय चल रहा अपने पथ पर। मैंने निज दुर्बल पद-बल पर, उससे हारी - होड़ लगाई। छलछल थे संध्या के श्रमकण, आँसू-से गिरते थे प्रतिक्षण। मेरी यात्रा पर लेती थी- नीरवता अनंत अँगड़ाई ।
देवसेना का गीत जयशंकर प्रसाद के कौन से?देवसेना का गीत-जय शंकर प्रसाद (Devsena ka geet-Jai Shankar Prasad) Class-12 NCERT Hindi Elective - YouTube.
देवसेना का गीत साहित्य की कौन सी विधा है?चन्द्रगुप्त (सन् 1931 में रचित) हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार जयशंकर प्रसाद का प्रमुख नाटक है। इसमें विदेशियों से भारत का संघर्ष और उस संघर्ष में भारत की विजय की थीम उठायी गयी है। प्रसाद जी के मन में भारत की गुलामी को लेकर गहरी व्यथा थी। इस ऐतिहासिक प्रसंग के माध्यम से उन्होंने अपने इसी विश्वास को वाणी दी है।
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