धर्म संस्कृति का एक हिस्सा
है। धर्म मानवीय जीवन से संबंधित अनेक अनेक कार्यों की पूर्ति करता है, इसी मानवीय लगाव के कारण आदि काल से लेकर वर्तमान काल तक सभी समाजों में धर्म ही दिखाई देता है। धर्म जीवन के मूल्यों का महत्वपूर्ण अर्थ स्पष्ट करता है। सदाचार की भावना से मनुष्य में आत्म नियंत्रण की शक्ति का उदय होता है। अतएव सामाजिक तथा मानवीय दोनों ही दृष्टि से धार्मिक संस्थाओं का बहुत ही महत्व है। भारतीय समाज में धर्म की भूमिकाभारतीय समाज में धर्म की भूमिकाभारतीय समाज में धर्म की सकारात्मक भूमिका
भारतीय समाज में धर्म की नकारात्मक भूमिका
Join Hindibag समाज में धर्म की क्या भूमिका है?धर्म संस्कृति का एक हिस्सा है। धर्म मानवीय जीवन से संबंधित अनेक अनेक कार्यों की पूर्ति करता है, इसी मानवीय लगाव के कारण आदि काल से लेकर वर्तमान काल तक सभी समाजों में धर्म ही दिखाई देता है। धर्म जीवन के मूल्यों का महत्वपूर्ण अर्थ स्पष्ट करता है। सदाचार की भावना से मनुष्य में आत्म नियंत्रण की शक्ति का उदय होता है।
धर्म की सही परिभाषा क्या है?साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य' सबसे उचित धारणा, अर्थात जिसे सबको धारण करना चाहिए, यह मानवधर्म हैं। "धर्म" एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। ऐसा माना जाता है कि धर्म मानव को मानव बनाता है।
भारतीय जीवन में धर्म का महत्व क्या है?धर्म मनुष्य मे जीवन के महत्व को स्पष्ट करता है, पवित्र भावनाओं को पैदा करता है एवं मानसिक तनाव व चिन्ताओं से दूर रखकर गलत, समाज विरोधी व धर्म विरोधी कार्यों के प्रति घृणा को पैदा करता है। इस तरह धर्म व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करता है एवं उसे सुख समृद्धि हेतु धार्मिक नियमों के अनुरूप आचरण के लिए प्रेरित करता है।
धर्म का क्या अर्थ है धर्म के महत्व का वर्णन कीजिये?प) धर्म विश्वासों और व्यवहारों का समूह होता है जिसमें लोगों के समुदाय की भागीदारी होती है जिसे जीवन और मृत्यु आदि के समय में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। धर्म स्थायी रूप से अलौकिक शक्ति से जुड़ा होता है जो हमेशा दैनिक जीवन से अलग होता है। दरर्वाइम इसे पवित्र मानते हैं।
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