विनिमय साध्य
लेख पत्र के निर्माता, स्वीकर्ता तथा पृष्ठांकन के अधिकारों तथा दायित्वों का वर्णन कीजिए। विनिमय साध्य विलेख पत्र से आशय- विनिमय साध्य विलेख पत्र का शाब्दिक अर्थ ऐसे लिखित संलेख से है जो किसी व्यक्ति के हित में अधिकार उत्पन्न करता है एवं जो सुपुर्दगी द्वारा हस्तान्तरणीय होता है। प्रस्तुत अधिनियम की धारा 13 (1) के अनुसार, “विनिमय साध्य लेख पत्र से अभिप्राय किसी प्रतिज्ञा-पत्र, विनिमय-पत्र अथवा चैक से है जो आदेशित व्यक्ति अथवा वाहक को देय होते हैं।” विनिमय साध्य लेख पत्र के विभिन्न पक्षकारों के अधिकार एवं दायित्व निम्नलिखित- (1) विनिमय साध्य विलेख पत्र के निर्माता के अधिकार एवं दायित्व – वह व्यक्ति जो विनिमय पत्र अथवा चैक लिखता है, लेखक कहलाता है। विनिमय पत्र में लेखक लेनदार होता है, अर्थात् लेखक एवं लेनदार दोनों एक ही व्यक्ति हो सकते हैं, विनिमय पत्र में लेखक का दायित्व गौण होता है, अर्थात् वह तभी उत्तरदायी होता है जबकि स्वीकर्ता उसका भुगतान करने में असफल रहता है। कहने का आशय यह है कि किसी भी विपत्र या चैक का लेखक देनदान या स्वीकर्ता के द्वारा विपत्र या चैक का अनादरण किये जाने पर धारक की यथोचित सूचना विपत्र के लेखक को दे दी है। (2) विनिमय साक्ष्य विलेख पत्र के स्वीकर्ता के अधिकार एवं दायित्व- जब विनिमय पत्र का देनदार उस विनिमय पत्र एक भाग पर अपनी सहमति से अधिक है तो किसी एक भाग पर अपनी सहमति प्रकट करते हुए हस्ताक्षर करने के बाद धारक को या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति को सुपुर्द कर दे या अपने हस्ताक्षर की सूचना दे दे तो उसे स्वीकर्ता कहा जायेगा। विनिमय विपत्र का देनदार विपत्र की स्वीकृति के पश्चात धारक को परिपक्वता तिथि पर भुगतान देने के लिए उत्तरदायी है। यदि वह भुगतान में कोई त्रुटि करता है तो वह इसके किसी भी पक्षकार को पहुँची हानि; जो ऐसी त्रुटि के कारण हुई हो; उसकी क्षतिपूर्ति करने के लिए बाध्य होता है। (3) विनिमय साध्य विलेख पत्र के पृष्ठांकन के अधिकार एवं दायित्व- जब किसी विनिमय साध्य लेख पत्र का लेखक या धारक उस पर लेखक की भाँति नहीं वरन् पराक्रमण के उद्देश्य से लेख पत्र की पीठ पर या सम्मुख भाग पर अथवा साथ में संलग्न कागज पर अपने हस्ताक्षर करता है; अथवा उसी उद्देश्य से किसी स्टाम्प लगे हुए ऐसे कागज पर अपने हस्ताक्षर करता है, जो बाद में एक विनिमय साध्य लेख पत्र के रूप में पूरा किया जाना हो; तो कहेंगे कि उसने उस लेख पत्र का पृष्ठांकन किया एवं वह स्वयं पृष्ठांकनकर्ता’ कहलाता है। पृष्ठांकनकर्ता का दायित्व धारक के प्रति लेखक के समान ही होता है। परिपक्वता विधि से पूर्व विलेख का पृष्ठांकनकर्ता यदि अपने दायित्व को सीमित नहीं करता तो वह प्रत्येक आगे वाले धारक के प्रति उत्तरदायी बना रहेगा। विलेख का अनादरण होने पर यदि उसको अनादरण की सूचना दे दी जाती है; तो धारक का पूर्ण भुगतान होने तक, उसका धारक के प्रति दायित्व समाप्त नहीं होता। परन्तु यदि अनादरण की सूचना उचित समय पर नहीं दी जाती; तो पृष्ठांकनकर्ता धारक के प्रति अपने दायित्व से मुक्त हो जाता है। IMPORTANT LINK
Disclaimer Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorइस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद.. विनिमय साध्य विलेख से क्या आशय है इसके प्रकार संक्षेप में बताइए?विनिमय-साध्य विलेख ऐसा विपत्र है, जिसमे निहित संम्पत्ति किसी व्यक्ति द्वारा सदभाव से और मूल्य के बदले अर्जित की गयी है, चाहे वह किसी ऐसे व्यक्ति से लिया गया है, जिसके स्वामित्व ( ownership ) मे कोई दोष ही क्यों न हो।
विनिमय साध्य विलेख क्या है इसकी विशेषताओं और वैधानिक धारणाओं की व्याख्या करें?भारतीय पराक्रम्य विलेख अधिनियम 1881 के अनुसार विनिमय विपत्र की परिभाषा इस प्रकार है "विनिमय विपत्र एक शर्त रहित लिखित आज्ञा पत्र है, जिसमें लिखने वाला किसी व्यक्ति को यह आज्ञा देता है कि वह एक निश्चित राशि या तो स्वयं उसे या उसकी आज्ञानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उस विनिमय - विपत्र के धारक को माँगने पर या एक निश्चित ...
विनिमय साध्य विलेख की प्रस्तुति से आपका क्या आशय है भुगतान के लिए प्रस्तुति से संबंधित नियमों का वर्णन कीजिए?विनिमय साध्य विलेख का शर्त रहित होना आवश्यक है। ऐसे विलेख के भुगतान की प्रतिज्ञा या भुगतान के आदेश मे कोई शर्त नही होती है। प्रतिज्ञा-पत्र मे उसका लेखक एक निश्चित धनराशि के भुगतान की शर्त रहित प्रतिज्ञा करता है। चैक तथा विनिमय-पत्र का लेखक किसी दूसरे व्यक्ति को निश्चित धनराशि के भुगतान का आदेश देता है।
विनिमय विपत्र कितने प्रकार के होते हैं?विनिमय पत्र देशी तथा विदेशी दोनों प्रकार का हो सकता है। विदेशी विनिमय पत्र सामान्यतः तीन प्रतिलिपि मे तैयार किया जाता है और इन तीनों का एक-दूसरे विनिमय पत्र की प्रतिलिपि कहते है।
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