वृंदावन में संध्या समय क्या अनभु तू होती है? - vrndaavan mein sandhya samay kya anabhu too hotee hai?

RBSE Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

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  • साँवले सपनों की याद Summary in Hindi
  • RBSE Class 9 Hindi साँवले सपनों की याद Textbook Questions and Answers
  • RBSE Class 9 Hindi साँवले सपनों की याद Important Questions and Answers
  • वृंदावन में सुबह सुबह क्या अनुभूति होती है?
  • वृंदावन कृष्ण की बांसुरी के जादू से खाली क्यों नहीं होता है?
  • वृंदावन में संध्या समय क्या अनभु तू होती है?
  • वृंदावन में कृष्ण के प्रसंग का उल्लेख लेखक ने क्या स्पष्ट करने के लिए किया है?

साँवले सपनों की याद Summary in Hindi

लेखक-परिचय – प्रस्तुत संस्मरण के लेखक जाबिर हुसैन का जन्म सन् 1945 में बिहार के नालन्दा जिले के नौनहीं राजगीर गाँव में हुआ। ये अंग्रेजी भाषा और साहित्य के प्राध्यापक रहे तथा उन्होंने सक्रिय राजनीति में भी भाग लिया। उन्हें हिन्दी, उर्दू तथा अंग्रेजी तीनों भाषाओं में समान अधिकार था। वे तीनों भाषाओं में अपना लेखन करते रहे। उन्होंने संघर्षरत आम आदमी तथा विशिष्ट व्यक्तित्वों पर चर्चित डायरियाँ लिखकर इस विधा को अभिनव रूप दिया है।

पाठ-सार – जाबिर हुसैन द्वारा लिखित पाठ ‘साँवले सपनों की याद’ डायरी शैली में लिखा गया संस्मरण है। लेखक के अनुसार सालिम अली सुप्रसिद्ध पक्षी- विज्ञानी एवं प्रकृति-प्रेमी थे। वे पक्षियों की खोज में वनों में दूर तक भटकते रहते थे और कन्धों पर सैलानियों की तरह अन्तहीन सफर का बोझ लेकर चलते थे। वे कहते थे कि लोग पक्षियों और प्रकृति को अपनी नजर से अर्थात् आदमी की नजर से देखते हैं। यह उनकी भूल है। पक्षियों के मधुर कलरव का संगीत कभी समाप्त नहीं हो पाता।

श्रीकृष्ण की बाँसुरी का मधुर स्वर आज भी जादू की तरह वृन्दावन में गूंज रहा है। सालिम अली ने पक्षियों एवं प्रकृति के सम्बन्ध तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी योजना प्रस्तुत की, परन्तु उनकी वह योजना पूरी नहीं हुई। सालिम अली पक्षी-प्रेमी लॉरेंस के समान थे। बचपन में उनकी एयरगन से नीले कण्ठ की एक गौरैया घायल होकर गिरी, वह घटना उन्हें जीवनभर जिन्दगी की नयी ऊँचाइयों की ओर ले जाती रही। प्रकृति और पक्षियों के सम्बन्ध में उन्होंने जो जानकारियाँ एकत्र की तथा जो अनुभव प्राप्त किये, वे उनकी व्यक्तित्व गरिमा के परिचायक माने जाते हैं।

कठिन-शब्दार्थ :

  • परिंदे = पक्षी।
  • सैलानी = यात्री।
  • पलायन = दूसरी जगह चले जाना।
  • जिस्म = शरीर।
  • आबशारों = निर्भर।
  • शोख़ = तेज़, तर्रार।
  • छाली = सुपारी।
  • वाटिका = बाग।
  • हिदायत = निर्देश।
  • हिफ़ाजत = सुरक्षा।
  • कायल = प्रशंसक, मुग्ध।
  • पसरी = फैली।
  • आँखें नम करना = आँसू आना।
  • संकल्प = इरादा।
  • जटिल = कठिन।
  • पहेली = रहस्य।
  • यायावरी = घुमक्कड़ स्वभाव।
  • सुराग = खोज।

RBSE Class 9 Hindi साँवले सपनों की याद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया?
उत्तर :
बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कण्ठ वाली एक गौरैया घायल होकर गिरी थी। उसी घटना ने उनकी जीवन-दिशा को बदल दिया। तब गौरैया आदि पक्षियों की देखभाल, सरक्षा और र बाद वे.पक्षियों की खोज में नये-नये स्थानों पर जाते रहे और पक्षी प्रेमी बन गये।

प्रश्न 2.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से सम्बन्धित किन सम्भावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर :
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सामने केरल की ‘साइलेंट वैली’ सम्बन्धी खतरों की बात उठाई होगी। चौधरी साहब ग्रामीण पृष्ठभूमि के होने के कारण सालिम अली की बातें सुनकर उनकी आँखें नम हो गयी होंगी।

प्रश्न 3.
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
उत्तर :
डी.एच. लॉरेंस प्रकृति-प्रेमी कवि थे। वे अपनी छत पर बैठकर गौरैया के साथ काफी समय बिताते थे। इसी कारण लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा कहा होगा कि मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में बहुत कुछ जानती है। फ्रीडा का आशय लॉरेंस के पक्षी-प्रेम को स्पष्ट करना था।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिन्दगी का प्रतिरूप बन गये थे।
उत्तर :
आशय-सालिम अली भी लारेंस की तरह प्रकृति प्रेमी थे। वे प्रकृति से इतना घुल-मिल गये थे कि उनका जीवन ही जैसे प्रकृतिमय हो गया था। उनका जीवन भी नैसर्गिक था, तो प्रकृति के प्रति भी वे नैसर्गिक बन गये थे।

(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा?
उत्तर :
आशय-सालिम अली रूपी पक्षी मौत की गोद में सो चुका है। यदि कोई व्यक्ति अपने दिल की धडकन उनके दिल में तथा अपने शरीर की गर्मी उनके शरीर में डाल भी दे, तो उन्हें जीवित नहीं कर सकता। वे जन्मजात प्रकृति-प्रेमी एवं पक्षी-प्रेमी थे, वे मौलिक थे, इसी कारण किसी और के दिल की धड़कन से उनके सपने पूरे नहीं हो सकते।

(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर :
आशय-टापू सीमित आकार का होता है। सालिम अली अपने कार्य-क्षेत्र में टापू की तरह सीमित नहीं रहे। वे तो पक्षियों की खोज में प्रकृति के विशाल परिवेश में घूमते रहे और अपना कार्य-क्षेत्र विस्तृत बनाकर अथाह सागर के समान प्रकृति से जो-जो अनुभव प्राप्त किए और उन्हें संजोया।

प्रश्न 5.
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
प्रस्तुत पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की विशेषताएँ निम्नांकित हैं

  1. मिश्रित भाषा का प्रयोग-लेखक ने प्रस्तुत संस्मरण में हिन्दी, उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग किया है। हिन्दी के तत्सम एवं तदभव शब्दों का मिला-जुला प्रयोग सशक्त भावाभिव्यक्ति के अनुकूल है।
  2. सुगठित वाक्य-योजना-संस्मरण-लेखन में व्यक्तित्व-चित्रण आदि को लेकर लम्बे और सुगठित वाक्यों का प्रयोग किया गया है। इससे वाक्य-योजना भावानुरूप दिखाई देती है। जैसे – “सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोशवादी की तरफ अग्रसर है।”
  3. मुहावरों व अलंकारों का प्रयोग-प्रस्तुत संस्मरण में भावाभिव्यक्ति एवं भाषा सौन्दर्यवर्द्धन की दृष्टि से मुहावरों और अलंकारों का सुन्दर प्रयोग हुआ है।
  4. शैली-विधान-प्रस्तुत संस्मरण में मुख्यतया भावात्मक शैली ही अपनाई गई है, परन्तु कहीं पर प्रश्न-शैली, ललित शैली तथा आवेग शैली का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 6.
इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
सालिम अली सुप्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी एवं प्रकृति-प्रेमी थे। उन्हें पक्षियों से विशेष लगाव था। वे हमेशा गले में या आँखों पर दूरबीन लगाकर पक्षियों के प्रत्येक क्रिया-कलाप को निहारते रहते थे। वे पर्यावरण-प्रेमी एवं घुमक्कड़ स्वभाव के थे। वे पहाड़ों, जंगलों, झरनों को उन्हीं की नजर से देखते थे और पक्षियों के मधुर कलरव को संगीत के समान रोमांचकारी मानते थे। वे अद्वितीय ‘बर्ड वाचर’ थे और प्रकृति के संरक्षण के लिए चिन्तित भी रहते थे। सालिम अली वस्तुतः सरल हृदय के मानव थे और अपने लक्ष्य को लेकर जिन्दगी की ऊँचाइयों को छूने में सफल रहे थे।

प्रश्न 7.
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत संस्मरण में सालिम अली को जीवन भर सुनहरे पक्षियों की दुनिया में खोया रहने वाला बताया गया है। वे प्रकृति परिवेश और पक्षियों की सुरक्षा और खोज के सपनों में खोये रहते थे। श्रीकृष्ण की बाँसुरी का मधुर स्वर और यमुना का साँवला जल उन्हें सपनों की याद दिला जाता था। इसी कारण वे सपनों के मिथक बन गये हैं। अतः उन्हें लक्ष्यकर लिखे गये संस्मरण का शीर्षक सर्वथा उचित एवं सार्थक है। यह शीर्षक रहस्यात्मक एवं जिज्ञासावर्द्धक भी है।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 8.
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिन्ता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर :
पर्यावरण बचाने या संरक्षण के लिए हम निम्न योगदान कर सकते हैं –

  1. हम अपने आसपास हरियाली बढ़ाने के लिए पौधों-पादपों का रोपण कर इस काम के लिए दूसरों को भी प्रेरित करें।
  2. हम पशु-पक्षियों एवं वन्य जीवों की रक्षा करें। छोटे पक्षियों के लिए दाना-पानी की यथासंभव व्यवस्था करें।
  3. हम यथासम्भव प्लास्टिक की थैलियों या अन्य ऐसी दूषित चीजों का उपयोग न के बराबर करें।
  4. कूड़ा-कर्कट घर के सामने या खुले में न फेंकें, उसे सिर्फ कूड़ेदान में ही डालें। गन्दगी न फैलने दें।
  5. प्रकृति का अवैध दोहन-खनन रोकें, पर्यावरण के प्रति जन-चेतना जगाने का प्रयास करें।

RBSE Class 9 Hindi साँवले सपनों की याद Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
“वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।” ‘वह पक्षी’ कहा गया है
(क) जाबिर हुसैन को
(ख) सैलानियों को
(ग) गौरेया चिड़िया को
(घ) सालिम अली को।
उत्तर :
(घ) सालिम अली को।

प्रश्न 2.
वृंदावन में रास लीला रची थी
(क) गोपियों ने
(ख) कृष्ण ने
(ग) सालिम अली ने
(घ) ग्वालों ने।
उत्तर :
(ख) कृष्ण ने

प्रश्न 3.
सालिम अली थे
(क) कृषि विज्ञानी
(ख) प्रकृति विज्ञानी
(ग) पक्षी विज्ञानी
(घ) दूरबीन विज्ञानी।
उत्तर :
(ग) पक्षी विज्ञानी

प्रश्न 4.
लॉरेंस की अंतरंग संगिनी बन गई थी
(क) छत पर बैठने वाली गौरेया
(ख) फ्रीडा लारेंस
(ग) एयरगन
(घ) तहमीना।
उत्तर :
(क) छत पर बैठने वाली गौरेया

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न :

निर्देश-निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उनसे सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

1. इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कन्धों पर सैलानियों की तरह अपने अन्तहीन सफ़र का बोझ उठाए। लेकिन यह सफर पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिन्दगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वो उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिन्दगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।

प्रश्न 1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? इसके लेखक का नाम भी बताइए।
प्रश्न 2. सालिम अली का यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन्न किस कारण था?
प्रश्न 3. सालिम अली अब किसमें और किस तरह विलीन हो रहे थे?
प्रश्न 4. सालिम अली की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर :
1. यह गद्यांश ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक पाठ (संस्मरण) से लिया गया है। इसके लेखक जाबिर हुसैन हैं।

2. सालिम अली का यह सफर मृत्यु के आगोश में जाने का था, उनकी जीवन-यात्रा का अन्तिम सफर था। इसी कारण यह तमाम पिछले सफरों से भिन्न था।

3. सालिम अली प्रकृति की गोद में विलीन होने जा रहे थे। उनका निधन हो गया था। इसलिए वे वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन होने एवं मौत की गोद में सोने जा रहे थे।

4. सालिम अली की तुलना उस वन-पक्षी से की गई है जो अपने जीवन का अन्तिम गीत गाने के बाद मौत को गले लगा लेता है। सालिम अली भी ऐसा ही जीवन जिए। वे जब तक जिए लक्ष्य की भाँति प्रसन्नतापूर्वक जिए और उसी काम में रत रहकर चुपचाप उनकी मृत्यु हो गयी। अतः समानता के कारण यह उपमा सुन्दर बन पड़ी है।

2. मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए हुए पक्षी को जगाना चाहेगा। वर्षों पूर्व, खुद सालिम अली ने कहा था, कि लोग पक्षियों को आदमी की नजर से देखना चाहते हैं। यह उनकी भूल है, ठीक उसी तरह, जैसे जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वो प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नजर से देखने को उत्सुक रहते हैं। भला कोई आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है।

प्रश्न 1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? इसके लेखक का नाम भी बतलाइए।
प्रश्न 2. सालिम अली पक्षियों को किन नजरों से देखने के आकांक्षी थे?
प्रश्न 3. लोग प्रकृति को किन नज़रों से देखने को उत्सुक रहते हैं और क्यों? प्रश्न 4. लोग पक्षियों की मधुर आवाज सुनकर रोमांच अनुभव क्यों नहीं कर सकते?
उत्तर :
1. यह गद्यांश ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक पाठ (संस्मरण) से लिया गया है। इस पाठ के लेखक जाबिर हुसैन हैं।
2. सालिम अली पक्षी विज्ञानी थे। वे पक्षियों के प्रेमी थे। वे पक्षियों की दुनिया को अपनी खुशी के लिए नहीं बल्कि उनकी खुशी को बनाये रखने के आकांक्षी थे। इस कारण वे पक्षियों को उन्हीं की नज़रों से देखने के आकांक्षी थे।
3. लोग जंगलों, पहाड़ों और झरनों आदि को अपनी नज़र से देखने को उत्सुक रहते हैं। वे उनके माध्यम से अपना भला-बुरा, सुख-दुःख तथा लाभ-हानि देखते हैं। क्योंकि लोगों की दृष्टि केवल अपने स्वार्थ तक ही सीमित है।
4. लोग पक्षियों की आवाज सुनकर रोमांच अनुभव इसलिए नहीं कर सकते, क्योंकि पक्षियों की अपनी भाषा होती है जिसे आदमी समझ नहीं पाता है

3. पता नहीं, यह सब कब हुआ था। लेकिन कोई आज भी वृन्दावन जाए तो नदी का साँवला पानी उसे पूरे घटनाक्रम की याद दिला देगा। हर सुबह सूरज निकलने से पहले, जब पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है तो लगता जैसे उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई सामने आएगा और बंसी की आवाज पर सब किसी के कदम थम जायेंगे। हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा तो लगता है जैसे बस कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जायेगा। वृन्दावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या!

प्रश्न 1. नदी का साँवला पानी किस घटना की याद ताजा कर देता है?
प्रश्न 2. ‘साँवले सपनों की याद’ संस्मरण में किसने किसे याद किया?
प्रश्न 3. वृन्दावन में सायंकाल क्या अनुभूति होती है ?
प्रश्न 4. वृंदावन कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली क्यों नहीं होता? ..
उत्तर :
1. वृन्दावन में यमुना का साँवला पानी हर आने वाले यात्री को श्रीकृष्ण की नटखट क्रीड़ाओं की याद ताजा कर देता है। जैसे ही भक्त यात्री यमुना का जल-प्रवाह देखता है, वैसे ही उसे श्रीकृष्ण की ग्वाल-बालों के साथ की गई क्रीड़ाओं एवं गोपियों के संग की गई रासलीलाओं का स्मरण हो आता है। साथ ही मुरलीवादन का स्वर स्मृति में आने लगता है।

2. प्रस्तुत संस्मरण में लेखक जाबिर हुसैन ने सुप्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली को याद किया।

3. वृन्दावन में सायंकाल सरज ढलने पर ऐसी अनुभति होती है कि मानो कष्ण अभी यहाँ आ जायेंगे और मनमोहनी मुरली बजाने लगेंगे।

4. वृन्दावन में कृष्ण भक्त वर्षभर दर्शनार्थ आते रहते हैं और वे वहाँ कृष्णरूप हो जाते हैं। सुबह-शाम उनके मन में कृष्ण की बाँसुरी का स्वर बजता रहता है। इसलिए वृंदावन कभी भी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली नहीं रहता।

4. दूर क्षितिज तक फैली जमीन और झुके आसमान को छूने वाली उनकी नजरों में कुछ-कुछ वैसा ही जादू था, जो प्रकृति को अपने घेरे में बाँध लेता है। सालिम अली उन लोगों में से थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। उनके लिए प्रकृति में हर तरफ हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया पसरी थी। यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी। इसके गढ़ने में उनकी जीवन-साथी तहमीना ने काफ़ी मदद पहुँचाई थी।

प्रश्न 1. सालिम अली के लिए प्रकृति कैसी थी?
प्रश्न 2. सालिम अली की गणना किन लोगों में होती थी?
प्रश्न 3. तहमीना कौन थी? उन्होंने क्या मदद पहुँचाई थी? बताइए।
प्रश्न 4. सालिम अली की नजरों में कैसा जादू था?
उत्तर :
1. सालिम अली के लिए प्रकृति हर तरफ हँसती-खेलती एवं रहस्यमयी दुनिया के रूप में फैली थी। उनके लिए प्रकृति नयी-नयी जानकारियाँ देने वाली और अतीव आनन्ददायी थी।

2. सालिम अली की गणना उन लोगों में होती थी, जो प्रकृति को अपने घेरे में बाँध लेते हैं। वे प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने में कायल होते हैं।

3. तहमीना स्कूल के दिनों में सालिम अली की सहपाठी रही थी और बाद में वह उनकी जीवन-साथी अर्थात् पत्नी बनी थी। उसने प्रकृति-प्रेम से भरी दुनिया को गढ़ने में सालिम अली की भरपूर मदद की थी।

4. सालिम अली की नज़रों में ऐसा जादू था कि वे धरती से आकाश तक फैली प्रकृति को अपने सम्मोहन से बाँध लेते थे, क्योंकि प्रकृति के रहस्यों के प्रति उनके मन में गहरा अनुराग था।

5. डी. एच. लॉरेंस की मौत के बाद लोगों ने उसकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से अनुरोध किया कि वह अपने पति के बारे में कुछ लिखे। फ्रीडा चाहती तो ढेर सारी बातें लॉरेंस के बारे में लिख सकती थी। लेकिन उसने कहा-मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ लिखना असंभव सा है। मुझे महसूस होता है मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जान जानती है। मझसे भी ज्यादा जानती है। वह सचमच इतना खला-खला और सादा-दिल आदमी था। मुमकिन है, लॉरेंस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो। लेकिन मेरे लिए कितना कठिन है उसके बारे में अपने अनुभवों को शब्दों में जामा पहनाना। मझे यकीन है, मेरी छत पर बैठी गौरैया उसके बारे में और हम दोनों के बारे में, मुझसे ज्यादा जानकारी रखती है।

प्रश्न 1. फ्रीडा लॉरेंस से लोगों ने क्या अनुरोध किया था और कब किया था?
प्रश्न 2. फ्रीडा लॉरेंस ने अपने पति के बारे में लिखने से इनकार क्यों किया था?
प्रश्न 3. गौरैया लॉरेंस की अंतरंग संगिनी कैसे बन गयी थी? प्रश्न 4. रगों और हड्डियों में बसने से क्या आशय है?
उत्तर :
1. फ्रीडा लॉरेंस से लोगों ने अनुरोध किया था कि वह अपने पति के बारे में कुछ लिखे। यह अनुरोध उसके प्रति डी. एच. लॉरेंस की मौत के बाद लोगों ने किया था।
2. फ्रीडा लॉरेंस ने अपने पति के बारे में लिखने से इनकार इसलिए किया था, क्योंकि उसे ऐसा लगता था कि वह अपने पति के बारे में उतना नहीं जानती जितना कि छत पर बैठने वाली गोरैया उनके बारे में जानती है।
3. गोरैया लारेंस की छत पर आकर उनके साथ काफी समय बिताती थी इस कारण वह गोरैया लॉरेंस की अंतरंग संगिनी बन गयी थी।
4. रगों और हड्डियों में बसने से आशय है – जीवन में समा जाना। लारेंस इतना खुला और सादा दिल इंसान था जो फ्रीडा लॉरेंस के दिल में मृत्यु के बाद भी समा गया था।

6. बचपन के दिनों में, उनकी एयरगन से घायल होकर गिरने वाली नीले कण्ठ की वह गोरैया सारी जिन्दगी उन्हें खोज के लिए नए-नए रास्तों की तरफ़ ले जाती रही। जिन्दगी की ऊँचाइयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डिगा नहीं। वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिन्दगी का प्रतिरूप बन गये थे। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टांपू.बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित हैं , उन्हें महसूस होता है कि वो आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले हैं और बस अभी गले में लम्बी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आयेंगे।

प्रश्न 1. सालिम अली के व्यक्तित्व की क्या विशेषता थी?
प्रश्न 2. सालिम अली को पक्षियों की दुनिया की ओर किस बात ने मोड़ा?
प्रश्न 3. सालिम अली के भ्रमणशील स्वभाव के कारण आज भी क्या अनुभव होता है?
प्रश्न 4. क्या लक्ष्य की ऊँचाई व्यक्ति को डिगा सकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. सालिम अली के व्यक्तित्व की यह विशेषता थी कि वे भ्रमणशील एवं यायावरी प्रवृत्ति के प्रकृति-प्रेमी एवं पक्षी-विज्ञानी थे। उन्होंने अपना सारा जीवन पक्षियों के लिए समर्पित कर दिया था और सदा उन्हीं की खोज में लगे रहते थे।
2. बचपन में सालिम अली की एयरगन से एक गोरैया घायल होकर गिरी, इसी बात ने उन्हें पक्षियों की दुनिया की ओर मोड़ा।
3. सालिम अली के भ्रमणशील स्वभाव के कारण अनुभव होता है कि वे आज भी पक्षियों का सुराग लेने की लम्बी यात्रा पर निकले हैं और जल्दी ही लौट आयेंगे।
4. लक्ष्यवान व्यक्ति को लक्ष्य की ऊँचाई डिगा नहीं सकती क्योंकि वह लक्ष्य के अनुसार अपने कदमों को बढ़ाता रहता है और अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करता हुआ विश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ऊँचाई को छू लेता है।

बोधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
लेखक ने भारत के किस प्रधानमंत्री को गाँव की मिट्टी से जुड़ा हुआ माना है और क्यों?
उत्तर :
लेखक ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह को गाँव की मिट्टी से जुड़ा हुआ माना है, क्योंकि वे ग्रामीण जीवन से जुड़े हुए थे। इसलिए वे खेती, पर्यावरण, मिट्टी तथा पशु-पक्षियों आदि की समस्याओं के बारे में भली प्रकार से जानते थे।

प्रश्न 2.
सालिम अली के अनुसार पक्षियों एवं प्रकृति के विषय में लोग क्या भूल जाते हैं?
उत्तर :
सालिम अली के अनुसार लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखते हैं। वे प्रकृति को अर्थात् पहाड़ों, वनों, झरनों आदि को प्रकृति की नज़र से नहीं देखते हैं। आदमी की नज़र से देखने में उनका सौन्दर्य तथा मधुर संगीत अच्छी तरह नहीं प्रतीत होता है। परन्तु उनकी नजर से देखने पर सब कुछ रोमांचकारी लगता है। लोग पक्षियों और प्रकृति के विषय में यही भूल करते हैं।

प्रश्न 3.
“इस हुजूम के आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली।” यहाँ किस सफ़र का उल्लेख हुआ है?
उत्तर :
यहाँ लेखक ने सालिम अली की अन्तिम यात्रा अर्थात् शव-यात्रा का उल्लेख किया है। वे पिछले सफ़रों में पक्षियों के बारे में जानकारी लेकर लौट आते थे, परन्तु आज स्वयं पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे थे। इस सफ़र में उनका शव सबसे आगे चल रहा था और उसके पीछे शवयात्रा में सम्मिलित लोगों का हुजूम था।

प्रश्न 4.
सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नाम क्या रखा था? और क्यों?
उत्तर :
सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नाम ‘फाल ऑफ ए स्पैरो’ अर्थात् ‘एक गोरैया का गिरना’ रखा था, क्योंकि बचपन में उनकी एयरगन से नीले कण्ठ वाली एक गोरैया घायल होकर गिरी थी, जिससे उनका पक्षी-प्रेम जागृत हुआ और उसी में उनका सारा जीवन समर्पित रहा।

प्रश्न 5.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री से किस उद्देश्य से मुलाकात की थी? इसका प्रधानमंत्री पर क्या असर पड़ा था?
उत्तर :
सालिम अली ने ‘साइलेंट वैली’ के पर्यावरण को बचाने का अनुरोध करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री से मुलाकात की। पर्यावरण के सम्भावित खतरों का उन्होंने जो चित्र सामने रखा, उससे प्रधानमंत्री पर यह असर हुआ कि उनकी आँखें नम हो गई और उन्होंने सालिम अली को सहयोग का आश्वासन दिया।

प्रश्न 6.
लॉरेन्स की मृत्यु के बाद पत्नी फ्रीडा ने उनके बारे में क्या कहा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लॉरेन्स अतीव सरल हृदय के, निर्मल स्वभाव के थे कि उनके बारे में अपने शब्दों को व्यक्त करना मेरे. लिए कठिन है। वे ऐसे प्रकृति-प्रेमी थे कि उनकी भावनाओं का निरूपण सहज भावुकता से ही हो सकता है। उनके बारे में मुझसे ज्यादा छत पर बैठने वाली गोरैया अधिक जानती है।

प्रश्न 7.
सालिम अली की मौत कैसे हुई? उनकी आँखों पर चढ़ी दूरबीन कब उतरी? बताइए।
उत्तर :
सालिम अली ने जीवन में लम्बी यात्राएँ की थीं, उन्हें कैंसर हो गया था और उस जानलेवा बीमारी से लगभग नब्बे वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। जीवन के अन्तिम समय तक उनकी आँखों पर दूरबीन चढ़ी रही और पक्षियों की तलाश में उनकी नेत्र-ज्योति के साथ समर्पित रही। वह आँखों पर चढ़ी दूरबीन सालिम अली की मौत के बाद ही उतरी थी।

प्रश्न 8.
“मेरी आँखें नम हैं।” लेखक ने इसका क्या कारण बताया?
उत्तर :
सप्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली का सारा जीवन प्रकति एवं पक्षियों के प्रेम में व्यतीत हआ। वे प्रतिदिन अपने गले में लम्बी दूरबीन लटकाकर अपनी खोजपूर्ण यात्रा पर निकल पड़ते थे। इसलिए ऐसा प्रतीत होता था . कि सायंकाल तक वे लौट आयेंगे, परन्तु इस बार वे मृत्यु के आगोश में इस तरह समा गये कि फिर लौटकर नहीं आ सके। इस तरह उनकी मृत्यु से उत्पन्न दुःख और अवसाद के कारण लेखक की आँखें नम हो गईं।

प्रश्न 9.
‘साँवले सपनों की याद ‘पाठ के आधार पर सालिम अली के किन्हीं दो गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर सालिम अली के दो गुण इस प्रकार हैं –
1. पक्षी-प्रेमी-सालिम अली जीवन भर नये-नये पक्षियों की खोज में, उनकी आदतों आदि के बारे में खोज करते रहे। वे पक्षी-प्रेमी के साथ ही प्रकृति-प्रेमी भी थे।
2. पर्यावरण के रक्षक-सालिम अली पर्यावरण प्रदूषण को लेकर चिन्तित रहते थे और पर्यावरण-रक्षा के लिए वे तत्कालीन प्रधानमन्त्री से भी मिले थे।

प्रश्न 10.
‘मनुष्य को प्रकृति को उसी की नजर से देखना चाहिए।’ इससे क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रकृति को उसी की नजर से देखने का तात्पर्य यह है कि हमें प्रकृति के साथ ऐसा आत्मीय सम्बन्ध रखना चाहिए, जिससे उसे नुकसान न पहुँचे। हमें प्रकृति को फलने-फूलने और संवर्धित होने का पूरा अवसर देना चाहिए तथा प्रकृति का विदोहन इतना अधिक नहीं करना चाहिए, जिससे सारा पर्यावरण प्रदूषित हो जावे। प्रकृति का शोषण एवं उत्पीड़न नहीं करना चाहिए और उससे मानवीय संवेदना रखनी चाहिए।

प्रश्न 11.
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ से क्या प्रेरणा मिलती है?
अथवा
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ का क्या प्रतिपाद्य है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘साँवले सपनों की याद’ नामक संस्मरण में सुप्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी, प्रकृति-प्रेमी और पर्यावरण विज्ञानी सालिम अली का व्यक्ति-चित्र उभारा गया है। इससे यह प्रेरणा मिलती है कि हमें पक्षियों तथा अन्य जीव-जन्तुओं से प्रेम करना चाहिए। हमें पशु-पक्षियों के व्यवहार का ज्ञान कर उनके संवर्धन का प्रयास करना चाहिए। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति चिन्ता रखनी चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा से ही प्रकृति का विकास होता है तथा जीव-जन्तुओं को स्वच्छन्द जीवन मिलता है। हम जो कार्य प्रारम्भ करें, उसे दृढ़ता से आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी इस पाठ से मिलती है।

प्रश्न 12.
सालिम अली ने पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या प्रयास किये?
उत्तर :
सालिम अली पक्षी-प्रेमी के साथ पर्यावरण-प्रेमी भी थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लक्ष्यकर ये प्रयास किये
1. उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री से मिलकर केरल की साइलेंट वैली के पर्यावरण को उजड़ने से रोकने की प्रार्थना की।
2. उन्होंने हिमालय और लद्दाख की बर्फीली धरती पर रहने वाले पक्षियों के लिए कल्याणकारी कार्य किये। 3. उन्होंने जीवन भर पक्षियों के विषयों में खोजें की तथा उनके जीवन के बारे में अध्ययन किया।

प्रश्न 13.
वृन्दावन में कृष्ण की मुरली का जादू हमेशा क्यों बना रहता है? ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइये।।
उत्तर :
वृन्दावन कृष्ण की लीलाभूमि रहा, इस कारण भारतीयों के मन में वहाँ पर कृष्ण द्वारा की गई रास-लीला एवं मुरली का सुरीला स्वर बार-बार गूंजता रहता है। जब भी भक्त-यात्री वृन्दावन की गलियों में घूमने जाते हैं, वहाँ यमुना-तट पर आते हैं, तो उन्हें कृष्ण के मुरली-वादन की मधुर अनुभूति होने लगती है और लगता है कि अभी कहीं से निकलकर कृष्ण प्रकट हो जायेंगे और मधुर स्वर में मुरली बजाना शुरू कर देंगे। इसी कारण वृन्दावन में श्रद्धालु सदैव आते रहते हैं और मुरली का जादू हमेशा बना रहता है।

प्रश्न 14.
मनुष्य को प्रकृति किस नजर से देखनी चाहिए? पठित पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
मनुष्य का दृष्टिकोण प्रायः सीमित स्वार्थों पर आधारित रहता है। इस कारण मनुष्य प्रकृति और उसके अन्य अंगों-पर्वतों, वनों, झरनों, तालाबों, जलाशयों, वन्य पशुओं तथा पक्षियों को प्रकृति की नजर से नहीं देखते हैं। वे उन्हें अपनी नजर से अर्थात् अपनी स्वार्थपूर्ति की लालसा से देखते हैं। ऐसी नजर रखने से मनुष्य न तो प्रकृति के संरक्षण की चिन्ता करता है और न पक्षियों के मधुर संगीत का आनन्द ले सकता है। अतः हमें प्रकृति की संरक्षा, खुशहाली तथा पर्यावरण-सुरक्षा की चिन्ता करनी चाहिए।

प्रश्न 15.
“सालिम अली, तुम लौटोगे ना!” संस्मरण के अन्त में लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर :
लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है कि सालिम अली रोजाना गले में दूरबीन लटकाये और कन्धे में झोला डाले पक्षियों के विषय में जानकारी करने चले जाते थे। वे पक्षियों के विषय में दुर्लभ जानकारी लेकर लौट आते थे। इस तरह का दैनिक कार्य होने से लेखक को आज भी यह एहसास होता है कि सालिम अली शायद अभी अपने सफर पर गये हैं और कुछ समय बाद लौट आयेंगे। जबकि सालिम अली संसार से चिर-यात्रा पर चले गये हैं। अत; अपनी संवेदना प्रकट करने के लिए लेखक ने ऐसा कहा है।

प्रश्न 16.
यमुना नदी का साँवला पानी आज भी किस घटनाक्रम की याद दिला देता है?
उत्तर :
यमुना नदी का साँवला पानी आज भी उन सभी घटनाओं की याद दिला देता है, जो कभी कृष्ण ने वृन्दावन में रास-लीला रची थी, शोख गोपियों को अपनी शरारत का निशाना बनाया था, गोपियों के माखन के बर्तन फोड़े थे और यमुना तट के उपवनों में विश्राम किया था तथा अपनी वंशी की मधुर संगीत-लहरी से सारे भू-भाग को सरस बना दिया था। इस प्रकार यमुना के जल-प्रवाह को देखकर कृष्ण की सभी मधुर लीलाओं तथा घटनाक्रम की याद ताजा हो जाती है।

प्रश्न 17.
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ में वर्णित वृन्दावन में सुबह क्या अनुभूति होती है और क्यों?
उत्तर :
लेखक का मानना है कि आज भी यदि कोई वृन्दावन जाए तो हर सुबह, सूरज निकलने से पहले ऐसी अनुभूति होती है कि अभी गलियों की भीड़ को चीरते हुए अचानक श्रीकृष्ण सामने आकर वंशी-वादन करने लग जाएँगे। क्योंकि भारत के सभी लोग आज भी कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते रहते हैं, उनकी लीलाओं को अपने मन में बसा चुके हैं।

प्रश्न 18.
‘बर्डवाचर’ किसे कहते हैं। सालिम अली कैसे बर्डवाचर थे?
उत्तर :
पक्षियों को निहारने वाले तथा उनकी प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखने वाले को ‘बर्डवाचर’ कहते हैं। क्षियों की बोलियों. उनके खान-पान, परिचरण एवं स्वभाव आदि सभी बातों पर गहरी रुचि रखते हैं। सालिम अली भी प्रसिद्ध बर्डवाचर थे। वे पक्षियों को उन्हीं की नजर से देखते थे, न कि मानवीय नजरों से। वे पक्षियों की खुशहाली एवं सुरक्षा के लिए चिन्तित रहते थे और सारे दिन पक्षियों के क्रियाकलापों को देखने के लिए भटकते रहते थे।

प्रश्न 19.
पक्षी-विज्ञानी सालिम अली का संक्षिप्त परिचय लिखिए।
उत्तर :
प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली का जन्म 12 नवम्बर, 1896 को हुआ था। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘फाल ऑफ ए स्पैरो’ नाम से लिखी। उसमें उन्होंने पक्षियों से सम्बन्धित रोचक किस्से लिखे। वे सारे भारत में, अनेक वन्य-घाटियों एवं अरण्यों में पक्षियों की खातिर दूरबीन लेकर घूमते रहे और अपना सारा जीवन इसी में समर्पित कर दिया। वे भ्रमणशील और यायावरी स्वभाव के थे। उनका निधन 20 जून, 1987 को हुआ।

प्रश्न 20.
डी.एच. लॉरेंस कौन थे? उनकी क्या विशेषता थी?
उत्तर :
डी.एच. लॉरेंस बीसवीं सदी के अंग्रेजी के प्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उन्होंने कविताएँ भी लिखी हैं, उनकी कविताएँ प्रकृति सम्बन्धी होने से विशेषकर उल्लेखनीय हैं। लॉरेंस का प्रकृति से गहरा लगाव और गहन सम्बन्ध रहा। वे मानते थे कि मानव जाति एक उखड़े हुए महान् वृक्ष की भाँति है, जिसकी जड़ें हवा में फैली हुई हैं। वे सालिम अली की तरह पक्षी-प्रेमी थे और अपने मकान की छत पर बैठने वाली गौरैयाओं को लगातार निहारते रहते थे।

प्रश्न 21.
‘पंखों पर सवार साँवले सपनों का हुजूम’ किसे और क्यों कहा गया है? ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
पक्षी-प्रेमी एवं पर्यावरणविद् सालिम अली को ‘पंखों पर सवार साँवले सपनों का हुजूम’ कहा गया है। क्योंकि सालिम अली जीवनभर पक्षियों के जीवन का अध्ययन करने के लिए घुमक्कड़ों की तरह भ्रमण करते रहे। उनके मन में पक्षियों के जीवन की अनकही जिज्ञासाएँ भरी रहती थीं, जिन्हें निहारने के लिए वे सदा गले में दूरबीन लटकाये यायावरी करते रहते थे।

वृंदावन में सुबह सुबह क्या अनुभूति होती है?

वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को सुखद अनुभूति होती है। वहाँ सूर्योदय पूर्व जब उत्साहित भीड़ यमुना की सँकरी गलियों से गुजरती है तो लगता है कि अचानक कृष्ण बंशी बजाते हुए कहीं से आ जाएँगे। कुछ ऐसी ही अनुभूति शाम को भी होती है। ऐसी अनुभूति अन्य स्थानों पर नहीं होती है।

वृंदावन कृष्ण की बांसुरी के जादू से खाली क्यों नहीं होता है?

वृंदावन कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली नही होताकृष्ण की बाँसुरी वृंदावन की पहचान है, जिसका जादू वृंदावन के कण-कण में व्याप्त है।

वृंदावन में संध्या समय क्या अनभु तू होती है?

वृन्दावन में सूरज निकलने और ढलने के समय यह अनुभूति होती है जैसे अभी कन्हैया भीड़ में से निकलकर बाँसुरी बजाते हुए प्रकट होंगे और बाँसुरी की मधुर तान से सबका मन मोह लेगी| पूरे वृन्दावन में आज भी श्रीकृष्ण और उनकी बाँसुरी तथा अन्य यादें बसी हुई हैं|

वृंदावन में कृष्ण के प्रसंग का उल्लेख लेखक ने क्या स्पष्ट करने के लिए किया है?

वृंदावन में कृष्ण के प्रसंग का उल्लेख यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि वृंदावन में कृष्ण के प्रसंग मिथक माने जाते हैं जो सच थे या नहीं ये नही पता। लेकिन आज भी वृंदावन जाने पर वहां के परिवेश में श्रीकृष्ण की स्मृति का एहसास होता है। उसी प्रकार श्री उसी प्रकार सलीम अली जिनका पक्षी एवं प्रकृति से गहरा नाता था।

वृंदावन में शाम को क्या अनुभूति होती है?

वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को सुखद अनुभूति होती है। वहाँ सूर्योदय पूर्व जब उत्साहित भीड़ यमुना की सँकरी गलियों से गुजरती है तो लगता है कि अचानक कृष्ण बंशी बजाते हुए कहीं से आ जाएँगे। कुछ ऐसी ही अनुभूति शाम को भी होती है। ऐसी अनुभूति अन्य स्थानों पर नहीं होती है।

वृंदावन किसी जादू से खाली क्यों नहीं होता?

(ग) वृंदावन में वर्ष-भर तीर्थयात्री भगवान कृष्ण के दर्शन के । लिए आते रहते हैं। सुबह-शाम यमुना नदी के किनारे ऐसा लगता है मानो कृष्ण की बाँसुरी की मधुर आवाज सुनाई दे रही है।। इसलिए वृंदावन कृष्ण की बाँसुरी की आवाज के जादू से कभी खाली नहीं होता

वृंदावन की हर सुबह क्या बताती है?

1 Answer. वृंदावन में यमुना नदी का साँवला पानी कृष्ण से जुड़ी हुई घटनाओं की याद दिलाता है।