भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है ?`? - bhaarat mein maanasoonee prakaar kee jalavaayu kyon hai ?`?


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भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है?

लिखित उत्तर

Solution : भारत में मानसूनी जलवायु होने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं मानसूनी जलवायु में मौसम के अनुसार पवनों की दिशा में परिवर्तन होता है। भारत की जलवायु में भी पवनें गर्मी में समुद्र से स्थल की ओर तथा शीत ऋतु में स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं।

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भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है ?`? - bhaarat mein maanasoonee prakaar kee jalavaayu kyon hai ?`?

Dileep Vishwakarma

5 months ago

(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु इसलिए है क्योंकि भारत में मानसूनी जलवायु में परिवर्तन के साथ पवनों की दिशा उलट जाती है। अधिकतर वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। भारत में इसी प्रकार की जलवायु दशाएं पाई जाती हैं अर्थात भारत की जलवायु पूर्ण रूप से मानसून से जुड़ी हुई है।

भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्या है?


स्थल तथा जल के गर्म एवं ठंडे होने की भिन्न प्रक्रिया के कारण भारत के स्थल भाग पर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जबकि इसके आस-पास समुद्र (हिन्द महासागर) के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बनता है। इसका परिणाम यह होता है कि पवन तंत्र के दिशा उलट जाती है। समुंदर के ऊपर उच्च दाब क्षेत्र से आर्दता युक्त निम्न दाब क्षेत्र, स्थल भाग (भारतीय उपमहाद्वीप) की तरफ चलने लगती है, जो भारत को भारी वर्षा प्रदान करती है।

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शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषता बताइए।


शीत ऋतु की जलवायु की स्थिति:

(i) दिन गर्म और राते ठंडी होती है।

(ii) शीत ऋतु नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है।

(iii) सहित ऋतू में तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है।

(iv) भारत में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रभावित होती है इनके कारण कुछ मात्रा में वर्षा तमिलनाडु के तट पर होती है।

(v) शीत ऋतु में आसमान साफ, तापमान तथा आर्द्रता कम और पवनें शिथिल तथा परिवर्तित होती है।

(vi) यह कम दाब वाली प्रणाली भू-मध्यसागर के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पश्चिम सपनों के साथ भारत में प्रवेश करती है। परिणामस्वरूप शीतकाल में वर्षा होती है तथा पर्वतो पर हिमपात होता है।

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भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।


भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषता निम्नलिखित है:

(i) भारत में मानसून अनिश्चित होता है।

(ii) भारत के विभिन्न स्थानों में वर्ष-प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाली वर्षा की मात्रा में बहुत परिवर्तनशीलता पाई जाती है। ये 15% से 80% तक होती है।

(iii) मानसून में भारत के सभी भागों में एक समान वर्षा नहीं होती अलग-अलग क्षेत्रों में प्राप्त होने वाली वर्षा की मात्रा में अंतर पाया जाता है।

(iv) मानसून और ग्रीष्मकालीन मानसून की अवधि में भी अंतर पाया जाता है।

(v) लगातार भारी वर्षा के अंतराल के बाद बिना वर्षा वाला शुष्क अंतराल होता है।

(vi) भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की एक प्रमुख समस्या बाढ़ और सूखा है। एक और लगातार भारी वर्षा से बाढ़ आ जाती है, वही दूसरी ओर मानसून की विफलताओं के कारण कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ता है।

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भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए-
(1) 400 से.मी. से अधिक वर्षा वाला क्षेत्र।
(2) 20-40 से.मी.वर्षा वाला क्षेत्र।
(3) 60-100 से.मी.वर्षा वाला क्षेत्र।


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भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को उदाहरण सहित समझाएँ।


(i) गर्मियों के समय राजस्थान के मरुस्थल में कुछ स्थानों का तापमान लगभग 50o से. तक पहुँच जाता है जबकि जम्मू-कश्मीर में पहलगाम में तापमान लगभग 20o से. तक रहता है।

(ii) सर्दी में रात के समय जम्मू-कश्मीर में द्रास का तापमान 45o हो जाता है जबकि तिरुवंतपुरम यह 20o हो जाता है।

(iii) देश के अधिकतर भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती है, परन्तु कुछ क्षेत्रों जैसे तमिलनाडु तट पर अधिकतर वर्षा अक्टूबर और नवंबर में होती है।

(iv) हिमालय के ऊपरी भाग में वर्षण अधिकतर हिम के रूप में होता है तथा देश के अन्य भागों में यह वर्षा के रुप में प्राप्त होता है।

(v) तटीय क्षेत्रों के तापमान में कम अंतर होता है। देश के आंतरिक भागों में मौसमी अंतर अधिक होता है।

(vi) उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर यह मात्रा वर्षा की मात्रा सामान्यतः घटती है।

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मानसून को परिभाषित करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं?


मानसून का अर्थ, एक वर्ष के दौरान मानसून पवन की दिशा में ऋतू के अनुसार परिवर्तन है।
मानसून में विराम: मानूसन की एक प्रकृति है 'वर्षा में विराम'। इसमें आर्द्र एवं शुष्क दोनों तरह के अंतराल होते है। मानसूनी वर्षा एक वर्ष में कुछ दिनों तक ही होती है। इसमें वर्ष रहित अंतराल भी होते है।

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भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों होती है?

(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु इसलिए है क्योंकि भारत में मानसूनी जलवायु में परिवर्तन के साथ पवनों की दिशा उलट जाती है। अधिकतर वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। भारत में इसी प्रकार की जलवायु दशाएं पाई जाती हैं अर्थात भारत की जलवायु पूर्ण रूप से मानसून से जुड़ी हुई है।

मानसूनी जलवायु का प्रमुख कारण क्या है?

मानसूनी जलवायु की उत्पत्ति पूर्व सिद्धांतानुसार स्थलीय एवं जलीय सतह के गर्म एवं ठंडा होने की दर में अंतर मानसूनी जलवायु के विकास का प्रमुख कारण है। गर्मियों के मौसम में/गर्मियों के दौरान जब सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लंबवत् पड़ती है तब मध्य एशिया में निम्न वायुदाब का विकास होता है।

भारत की जलवायु कैसी है और क्यों?

इस प्रकार भारत के अधिकांश हिस्से में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है। भारत के दक्षिण में स्थित हिंद महासागर से आने वाली मानसूनी पवनों का भारत की जलवायु पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिये भारत की जलवायु को उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु कहा जाता है।

भारत में जलवायु कितने प्रकार की होती है?

कोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत में निम्नलिखित छह प्रकार के जलवायु प्रदेश पाए जाते हैं:.
अल्पाइन - (ETh).
आर्द्र उपोष्ण - (Cwa).
उष्ण कटिबंधीय नम और शुष्क - (Aw).
उष्ण कटिबंधीय नम - (Am).
अर्धशुष्क - (BSh).
शुष्क मरुस्थलीय - (BWh).