कुंभ राशि के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए? - kumbh raashi ke lie kaun sa vrat karana chaahie?

आने वाले 3 महीने कुंभ राशि वालों के लिए बेहद कष्टकारी, जानें शनि के अशुभ प्रभावों से कब मिलेगी मुक्ति

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आने वाले 3 महीने कुंभ राशि वालों के लिए बेहद कष्टकारी, जानें शनि के अशुभ प्रभावों से कब मिलेगी मुक्ति

Shani Sade Sati Kumbh Rashi: शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनकर सभी घबराते हैं। शनि की साढ़ेसाती के दौरान लोगों को कष्टों का सामना करना पड़ता है। जानें कुंभ राशि वालों को कब मिलेगी साढ़ेसाती से मुक्ति-

कुंभ राशि के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए? - kumbh raashi ke lie kaun sa vrat karana chaahie?

Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीFri, 04 Nov 2022 12:21 AM

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Shani Sade Sati Kumbh Rashi: ज्योतिष शास्त्र में शनि के राशि परिवर्तन या चाल परिवर्तन को काफी अहम माना गया है। शनि को न्याय देवता कहा गया है। शनि अच्छे कर्म करने वाले जातकों को शुभ फल देते हैं और बुरे कर्म करने वालों को दंडित करते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, शनि 23 अक्टूबर 2022 को मकर राशि में मार्गी हुए थे और अब वह इसी राशि में सीधी चाल चल रहे हैं। इस समय कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। शास्त्रों में शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे कष्टकारी माना गया है। जानें कुंभ राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से कब मिलेगी मुक्ति-

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कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण-

पंचांग के अनुसार, शनि ग्रह 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश किए थे। तभी से कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो गया था। शनि के कुंभ राशि में आने से धनु राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिल गई थी और मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई थी। कर्क व वृश्चिक राशि के जातक शनि ढैय्या से पीड़ित हुए थे।

शनि की कैसी है वर्तमान स्थिति-

हिंदू पंचांग के अनुसार, शनि 23 अप्रैल 2022 को कुंभ राशि में प्रवेश हुए थे और 5 जून तक वक्री अवस्था (उल्टी चाल) में थे। इसके बाद 12 जुलाई को वक्री अवस्था में ही मकर राशि में गोचर कर गए थे। अब 23 अक्टूबर को मकर राशि में मार्गी हुए थे। 17 जनवरी 2023 को फिर से शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। 

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कुंभ राशि से कब हटेगी शनि की साढ़ेसाती-

कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती 24 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी और इससे मुक्ति 3 जून 2027 को मिलेगी। शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं।

शनि के दूसरे चरण का क्या पड़ता है प्रभाव-

शनिदेव साढ़ेसाती के दूसरे चरण में ज्यादा कष्टकारी साबित होते हैं। इस दौरान जातक को आर्थिक, शारीरिक व मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

कुंभ राशि (Aquarius) का स्थान पिंडली में होता है। इसके कारक ग्रह गुरु, शुक्र और शनि माने गए हैं। वायु तत्व प्रधान कुंभ राशि का स्वामी शनि है। भाग चर है और कुंभ लग्न की बाधक राशि सिंह तथा ग्रह सूर्य है। लेकिन लाल किताब अनुसार शत्रु और मित्र ग्रहों का निर्णय कुंडली अनुसार ही होता है।

लाल किताब अनुसार ग्यारहवें भाव में कुंभ राशि मानी गई है जिसके शनि का पक्का घर आठ और दस माना जाता है। इसमें शनि के खराब या अच्छा होने की कई स्थितियाँ हैं। यदि आप कुंभ राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब की सामान्य सलाह दी जा रही है।

अशुभ की निशानी : शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षति ग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। गृहकलह बना रहता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दाँत और आँख की कमजोरी।

सावधानी व उपाय : सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें। तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, और जूता दान देना चाहिए। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावे। छायादान करें अर्थात् कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा माँगते हुए रख आएँ।

दाँत साफ रखें। तहखानें की हवा को मुक्त न करें। अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। कुंडली का प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को ताँबा या ताँबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएँ। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएँ न खरीदें आदि।

एकादश व पंचम भाव – सभी भावों के कालसर्प योग का शुभाशुभ विवरण व उपाय – इक्कीसवाँ दिन – Day 21 – 21 Din me kundli padhna sikhe – ekaadash vah pancham bhaav – sabhee bhaav ko kaal sarp yog ka shubhaashubh vivaran va upaay – Ikkeesavaan Din ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हफ्ते के सातों दिन अलग-अलग देवी-देवताओं और ग्रहों को समर्पित हैं। इसी प्रकार शनिवार का दिन शनिदेव और भैरव बाबा की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इंसान के कर्म के आधार पर शनिदेव प्रसन्न होकर या क्रोधित होकर उसे कर्मों का फल देते हैं। कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति आपके पक्ष में होने से व्यक्ति सभी कार्यों में सफल होता है। शनिदेव की कृपा से कार्यों में आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं। साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ राशियां ऐसी हैं जिनके लिए शनिवार का व्रत करना बहुत लाभदायक माना गया है। तो आइए जानते हैं कौन सी हैं वे राशियां और शनिवार का व्रत करने की सही विधि... कुंभ राशि वाले को कौन सा व्रत रहना चाहिए?

कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि को माना जाता हैं. और इस राशि के देवता शनिदेवता हैं. इसलिए कुंभ राशि के जातक को शनिवार का व्रत करना चाहिए. अगर कुंभ राशि के जातक शनिवार का व्रत करते हैं.

कुंभ राशि को कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए?

कुंभ राशि- कुंभ राशि भगवान शिव को अतिप्रिय है। ज्योतिष में कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनिदेव माने गए हैं। शनिदेव के साथ-साथ इस राशि पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। इस राशि के जातकों के लिए भगवान शंकर की अराधना करना फलदायी माना गया है।

कुंभ राशि वालों के लिए शुभ वार कौन सा है?

कुंभ राशि का 'शनि' ग्रह से निकट का संबंध है। इस कारण इस राशि के जातकों के लिए भाग्यशाली दिन शनिवार होता है। इस दिन ये विशेष प्रसन्न रहते हैं। इनके लिए मंगलवार शुभ, रविवार मध्यम, बुधवार और शुक्रवार के दिन अशुभ होते हैं।

कुंभ राशि वालों का देवता कौन है?

कुंभ राशि के स्वामी शनि है। जातक विष्णु अथवा सरस्वती को इष्टदेव के रूप में पूज सकते हैं। कलियुग के देवता कौन हैं?