कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न क्यों नहीं हो पाता ? - kavi soory kee vijay se bhee prasann kyon nahin ho paata ?

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 हिंदी पद्य भाग का पाठ छ: ‘आ रही है रवि की सवारी (Aa rahi hai ravi ki sawari)’ को पढृेंंगें, इस पाठ में हरिवंश राय बच्‍चन ने सूर्योदय का बड़ा ही मोहक वर्णन किया है।

कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न क्यों नहीं हो पाता ? - kavi soory kee vijay se bhee prasann kyon nahin ho paata ?
कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न क्यों नहीं हो पाता ? - kavi soory kee vijay se bhee prasann kyon nahin ho paata ?
 

आ रही है रवि की सवारी कवि हरिवंश राय बच्‍चन
नव–किरण का रथ सजा है,
कलि–कुसुम से पथ सजा है,
बादलों–से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी
आ रही रवि की सवारी !

अर्थ–कवि सूर्योदय का वर्णन करते हुए कहता है कि सूर्योदय के समय सूर्य नई किरणों से सजा रथ पर संवार प्रतीत होता है तो उस समय कलियों एवं फूलों से प्रकृति सज-धज जाती है। जलपूर्ण बादल सूर्य की लाल किरणों के पड़ने से सुनहले रंग का हो जाता है। कवि को यह दृश्य ऐसा प्रतीत होता है, जैसे-कोई राजा सोने की पोशाक धारण कर रथ पर सवार होकर आ रहा हो।

व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ से ली गई हैं। इनमें कवि ने सूर्योदय का बड़ा ही मोहक वर्णन किया है।

किरण रूपी रथ पर सवार सूर्य कवि को एक राजा के रथ के समान प्रतीत होता है। उसे लगता है कि घोड़े से सुसज्जित राजा का रथ हो और स्वर्ण की पोशाक पहने राजा उस पर सवार हो तथा उनके मार्ग को फूलों से सज़ा-धजा दिया गया हो, ठीक वैसे ही सूर्योदय के समय उदित हो रहे सूर्य की किरणें रथ के घोड़े के समान लगती हैं, फूलों के खिलने से वातावरण मोहक बन जाता है । जल से पूर्ण बादल का रंग सुनहला हो जाता है। सुबह के समय का ऐसा दृश्य देखकर कवि को लगता है, जैसे सूर्य की सवारी आ रही हो । अतः प्रस्तुत कविता में कवि ने सूर्योदय कालीन प्राकृतिक दृश्य का स्वाभाविक चित्र उपस्थित किया है।

विहग बंदी और चारण,
गा रहे हैं कीर्ति–गायन,
छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी !
आ रही रवि की सवारी !

अर्थ—कवि बच्चन जी कहते हैं कि सूर्योदय के समय पक्षीगण कलरव करने लगते हैं, बंदी तथा चारण ईश्वर अथवा राजा के गुणगान करने लगते हैं तथा सूर्य के प्रकाश में आकाश में टिमटिमाते तारे प्रकाश हीन अर्थात् लुप्त हो जाते हैं। इस प्रकार, कवि को सूर्योदय के समय का दृश्य प्रतीत होता है।

व्याख्या— प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ से उद्धृत है। इसमें कवि ने सूर्योदय कालीन दृश्य का स्वाभाविक वर्णन किया है।

कवि का कहना है कि सुबह होते ही पक्षीगण अपने कलरव से वातावरण को गुंजायमान बना देते हैं, बंदी तथा चारण प्रभु (राजा) की स्तुति करने लगते हैं तो प्रकाश के फैलते ही तारे समूह ओझल हो जाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य है कि सुबह होत हा प्रकृति म परिवर्तन हो जाता है। प्रकृति के कण-कण में एक नया उत्साह, नया जोश तथा नई जागृति आ जाती है। सभी अपने-अपने नियत कर्म में लग जाते हैं । कवि रवि का सवारी की तुलना राजा की सवारी से करते हुए कहना चाहता है कि जिस प्रकार राजा का यशोगान प्रजा करती है; उसी प्रकार सूर्योदय के स्वागत में प्रकृति अपनी सौन्दर्य सुषमा बिखेर देती है।

चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी !
आ रही रवि की सवारी !

अर्थ–कवि बच्चनजी कहते हैं कि सूर्योदय के इस मनोरम दृश्य को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है, परन्तु निस्तेज चाँद को देखकर मन खिन्न हो उठता है कि संसार में कुछ भी शाश्वत नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति या वस्तु का पतन या विनाश निश्चित है।

व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने संसार की क्षणभंगुरता की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

कवि सूर्योदय कालीन प्राकृतिक सौन्दर्य देख अपना हार्दिक प्रसन्नता प्रकट करना चाहता है, लेकिन रात भर अपनी चाँदनी से शीतलता प्रदान करने वाले निस्तेज चाँद को देखकर ठिठक जाता है, क्योंकि रात का राजा चाँद असहाय भिखारी के समान प्रतीतहोता है। कवि को ऐसा परिवर्तन यह सोचने को विवश कर देता है कि उत्थान-पतन अथवा जीवन-मरण प्रकृति का शाश्वत नियम है। इसलिए व्यक्ति को अपने उत्थान या ऐश्वर्य पर न तो इठलाना चाहिए और न ही पतन पर व्यथित होना चाहिए। प्रकृति अपने नियम से चलती है, इसलिए सुख-दु:ख दोनों स्थितियों में व्यक्ति को समान भाव में रहना चाहिए। “गीता’ का यही संदेश है। भाषा खड़ीबोली हिन्दी है।

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आ रही रवि की सवारी - हरिवंश राय ‘बच्चन’


       

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आ रही रवि की सवारी कविता का भावार्थ व्याख्या 

आ रही रवि की सवारी।

नव-किरण का रथ सजा है,

कलि-कुसुम से पथ सजा है,

बादलों-से अनुचरों ने

स्‍वर्ण की पोशाक धारी।

आ रही रवि की सवारी।


कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न क्यों नहीं हो पाता ? - kavi soory kee vijay se bhee prasann kyon nahin ho paata ?

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा रचित कविता  आ रही रवि की सवारी  से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सूर्य उदय का समय हो गया है ⃒ सूर्य अब निकलने ही वाला है ⃒ सूर्य की रथ नई किरणों से सजी हुई है ⃒ फूलों की कलियों से रास्ते सजे हुए हैं ⃒ बादल जो सूर्य के सेवक हैं, वे सोने के कपड़े पहन कर खड़े हैं ⃒ ये सभी सूर्य के स्वागत के लिए खड़े हैं ⃒ सूर्य की सवारी आ रही है ⃒  



विहग, बंदी और चारण,

गा रही है कीर्ति-गायन,

छोड़कर मैदान भागी, 

तारकों की फ़ौज सारी।

आ रही रवि की सवारी।


भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा रचित कविता  आ रही रवि की सवारी  से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सूर्य की सवारी आ रही है, इस खुशी में पक्षी, प्रशंसा के गीत गाने वाले लोग सूर्य का वन्दना करते हुए उसके यश और कीर्ति का गीत गा रहे हैं ⃒ तारों की सारी फौज भी मैदान छोड़कर जा चुकी है ⃒ अब सूर्य अपनी सवारी के साथ आ रहें हैं ⃒  



चाहता, उछलूँ विजय कह,

पर ठिठकता देखकर यह-

रात का राजा खड़ा है, 

राह में बनकर भिखारी।

आ रही रवि की सवारी।


भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा रचित कविता  आ रही रवि की सवारी  से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सूर्य की सवारी आ रही है ⃒ उसे खुशी से उछल कर जीतना चाहता हूँ, लेकिन रात के राजा चाँद और तारों को रास्ते में भिखारी की तरह लाचार देखकर रुक जाता हूँ ⃒ 



आ रही रवि की सवारी कविता का सारांश   

प्रस्तुत पाठ या कविता आ रही रवि की सवारी , कवि हरिवंश राय बच्चन जी के द्वारा रचित है ⃒ इस कविता के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय प्रकृति में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं, कवि ने इन्हीं बदलावों को इस कविता के माध्यम से सचित्र वर्णन किया है। प्रकृति प्रेम सौंदर्य और भावना का विकास करने वाली है ⃒ कवि ने विजय और पराजय दोनों ही परिस्थितियों में समता बनाए रखने का संदेश दिया है... ⃒ ⃒   



आ रही रवि की सवारी कविता का प्रश्न उत्तर 

मौखिक

प्रश्न-1 – बादलों को किसकी उपमा दी गई है ? 

उत्तर - बादलों को अनुचरों की उपमा दी गई है ⃒  


प्रश्न-2 - रात का राजा किसे कहा गया है ? 

उत्तर -  रात का राजा चाँद को कहा गया है ⃒ 


कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न क्यों नहीं हो पाता ? - kavi soory kee vijay se bhee prasann kyon nahin ho paata ?

प्रश्न-3 - कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न क्यों नहीं हो पाता ?  

उत्तर- कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न इसलिए नहीं हो पाता, क्योंकि कवि विजय कर उछलना चाहता है ⃒ 


लिखित 

प्रश्न-1 - तुम्हें पक्षीयों का चहचहाना कैसा लगता है? कवि ने पक्षियों की किसके समान बताया है ? 

उत्तर - हमें पक्षियों का चहचहाना अच्छा लगता है ⃒ कवि ने पक्षियों को भाट या वीरों की प्रशंसा के गीत गानेवाले बताया है ⃒ 


प्रश्न-2 – नव-किरण, बादल-दल, और पक्षी ' रवि की सवारी' का स्वागत किस प्रकार करते हैं ?

उत्तर - नव-किरण, बादल-दल, और पक्षी 'रवि की सवारी' का स्वागत अलग-अलग तरह से करते हैं ⃒ नव-किरण रथ को सजाती है, बादल सोने के वस्त्र पहनकर खड़े होते हैं और पक्षी सूर्य के कीर्तिं एवं यश का गायन कर के स्वागत करते हैं ⃒