आत्मत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात् आत्मा या मन के भय का निवारण, उससे मुक्ति। कवि चाहता है कि जीवन में आने वाले दुखों को वह निर्भय होकर सहन करे। त्राण शब्द का प्रयोग इस कविता के संदर्भ में बचाव, आश्रय और भय निवारण के अर्थ में किया जा सकता है। दुख न मिले ऐसी प्रार्थना वह नहीं करता बल्कि मिले हुए दुखों को सहने, उसे झेलने की शाक्ति के लिए प्रार्थना करता है। कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले इसलिए यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है। Show 16. दिए गए संकेत–बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर 80–100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए: (क) शिक्षक-शिक्षार्थी संबंध (ख) मित्रता (ग) युवाओं के लिए मतदान का अधिकार Solution : आत्मत्राण. कविता में कवि की प्रार्थना से यह संदेश मिलता है कि मनुष्य के सामने कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आएँ उसे ईश्वर पर से अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए। उसे संसार के सभी लोगों से वंचना मिले पर प्रभु पर से उसका विश्वास डगमगाए नहीं। मानव को ईश्वर से दुखों को दूर करने की प्रार्थना नहीं अपितु उसकी प्रार्थना होनी चाहिए कि ईश्वर उसे इतनी शक्ति दे जिससे वह उन दुखों को स्वयं से दूर कर सके साथ ही मनुष्य को सकारात्मक सोच दें मनुष्य को प्रभु से समस्त विपदाओं से लड़ने की आत्मशक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। समय कितना भी विषम हो, उसे केवल धैर्य के साथ स्वयं से उन स्थितियों से जूझना चाहिए और प्रभु से मात्र आत्मशक्ति की याचना होनी चाहिए। सुख के क्षण में भी ईश्वर को याद करना चाहिए। संसार द्वारा धोखा देने पर ईश्वर पर संदेह नहीं करना चाहिए। आत्मत्राण कविता हमें क्या संदेश देती है?आत्मत्राण कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि चाहे कितना कठिन समय हो या कितनी विपदाएँ जीवन में हों। परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहनी चाहिए। उनके अनुसार जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही, मनुष्य का भगवान पर से विश्वास हट जाता है।
आत्मत्राण कविता का मूल उद्देश्य क्या है?उत्तर : कवि कहता है कि दुख के समय में यदि कोई उसे सांत्वना नहीं देता तो भी उसे गम नहीं है, वह तो बस इतना चाहता है कि ईश्वर उसे दुखों पर विजय पाने की शक्ति प्रदान करें । यदि दुख के क्षण में कोई सहायक न मिले तो भी कवि चाहता है कि उसका आत्मिक बल और पराक्रम बना रहे। वह स्वयं दुखों से संघर्ष करके उन पर विजय पाना चाहता है।
प्रेरणा इस कविता में क्या संदेश दिया है?Answer. इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार वसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यो से समाज, राष्ट्र व विश्व की आभामय बनाना चाहिए। एस कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें। कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
आत्मत्राण कविता में कौन किससे प्रार्थना कर रहा है?उत्तर: कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है। वह यह चाहता है कि वह हर मुसीबत का सामना खुद करे। भगवान उसे केवल इतनी शक्ति दें कि मुसीबत में वह घबड़ा न जाए। वह भगवान से केवल आत्मबल चाहता है और स्वयं सब कुछ के लिए मेहनत करना चाहता है।
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