आत्मत्राण कविता में हमें क्या संदेश देती है? - aatmatraan kavita mein hamen kya sandesh detee hai?

आत्मत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात् आत्मा या मन के भय का निवारण, उससे मुक्ति। कवि चाहता है कि जीवन में आने वाले दुखों को वह निर्भय होकर सहन करे। त्राण शब्द का प्रयोग इस कविता के संदर्भ में बचाव, आश्रय और भय निवारण के अर्थ में किया जा सकता है। दुख न मिले ऐसी प्रार्थना वह नहीं करता बल्कि मिले हुए दुखों को सहने, उसे झेलने की शाक्ति के लिए प्रार्थना करता है। कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले इसलिए यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है। 


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दिए गए संकेत–बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर 80–100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए:
(क) शिक्षक–शिक्षार्थी संबंध
      – प्राचीन भारत में गुरू–शिष्य संबंध
      – वर्तमान युग में आया अन्तर
      – हमारा कर्त्तव्य
(ख) मित्रता
      – आवश्यकता
      – मित्र किसे बनाएँ
      – लाभ
(ग) युवाओं के लिए मतदान का अधिकार
      – मतदान का अधिकार क्या और क्यों?
      – जागरूकता आवश्यक
      – सुझाव 


(क)     शिक्षक-शिक्षार्थी संबंध
प्राचीन समय में गुरू-शिष्य का संबंध बहुत मधुर होता था। शिक्षार्थी अपनी शिक्षा ग्रहण गुरुकूल में करता था। शिक्षक की छत्र-छाया में ही वह अनेक वर्ष रहता था। इस तरह शिक्षक और शिष्य के मध्य पिता-पुत्र का संबंध स्थापित हो जाता था। परन्तु आज के युग में स्थिति इसके विपरीत है। आज शिक्षकों के लिए शिक्षा एक व्यवसाय है, जिसे वे निभा रहे हैं। उनका शिष्यों के प्रति प्राचीन समय जैसा प्रेम व लगाव नहीं रह गया है। पिता-पुत्र जैसे संबंध तो विरले देखने को मिलते हैं। आज हमारा कर्तव्य बनता है कि यदि हम शिक्षक हैं, तो शिक्षार्थी को अपनी संतान की तरह रखें और उनके भविष्य का ध्यान रखते हुए उन्हें उचित शिक्षा प्रदान करें। यदि हम शिक्षार्थी हैं, तो अपने शिक्षक का सम्मान करें और उनके दिखाए मार्ग पर बढें।

(ख)   मित्रता
हर व्यक्ति को मित्रता की आवश्यकता होती है। वह चाहे सुख के क्षण हो या दुख के क्षण मित्र उसके साथ रहता है। वह अपने दिल की हर बात निर्भयता से केवल अपने मित्र से कह सकता है। किसी विशेष गुढ़ बात पर मित्र ही उसे सही सलाह देकर उसका मार्गदर्शन करता है। मित्र ही उसका सही अर्थों में सच्चा शुभचिंतक, मार्गदर्शक, शुभेच्छा रखने वाला होता है। सच्ची मित्रता में प्रेम व त्याग का भाव होता है। मित्र की भलाई दूसरे मित्र का कर्त्तव्य होता है। वह जहाँ एक ओर माता के धैर्य के समान उसे संभालता है, तो पिता के जैसे सशक्त कन्धों का सहारा देता है। सच्चा मित्र वही कहलाता है, जो विपत्ति के समय अपने मित्र के साथ दृढ़-निश्चय होकर खड़ा रहता है। हमें चाहिए कि जब भी किसी को अपना मित्र बनाए तो सोच-विचार कर बनाए क्योंकि जहाँ एक सच्चा मित्र आपका साथ देकर आपको ऊँचाई तक पहुँचा सकता है, वहीं एक कुमित्र आपको पतन के गर्त तक पहुँचा सकता है। सच्चा मित्र आपके जीवन की दिशा बदल देता है, वह आपको गलत मार्ग पर बढ़ने नहीं देता और विपत्ति के समय आपके कंधे-से-कंधा मिलाकर चलता है।

(ग) युवाओं के लिए मतदान का अधिकार
मतदान का अर्थ होता है मत का दान अर्थात अपने देश की सरकार चलाने के लिए कौन-सा व्यक्ति उचित है और कौन-सा अनुचित इस आधार पर उसका चयन करना। मतदाता का अर्थ होता है, जो अपने मत को देता है। चुनावों में मतदान करना एक नागरिक के लिए महत्वपूर्ण अधिकार है। इसके माध्यम से ही वह अपने लिए उचित सरकार का चयन करता है। यह अधिकार उसके अधिकारों के प्रति सजगता का परिचय है। हमें इस विषय पर जागरूक होना बहुत आवश्यक है। इसका प्रयोग करके हम स्वयं के और देश के भविष्य को विकास व प्रगति प्रदान कर सकते हैं। हमारे दिए मतदान के कारण ही एक पार्टी सरकार बनाती है। कुछ वर्ष पूर्व तक देश में मतदान का दुरूपयोग किया जा रहा था। परन्तु अब मतदाता जागरूक हो गए हैं। अब जनता चुनावों के समय में उसी उम्मीदवार को चुनती है, जो उसके देश के लिए कार्य करता है। बेकार के नेताओं को वह घास नहीं डालती है। उदाहरण के लिए दिल्ली में शीला सरकार पिछले तीन साल से जीत रही हैं। लोगों ने उनके द्वारा किए कार्य की प्रशंसा की और भारी बहुमत से विजयी बनाया। जनता ऐसे नेता को अवसर देने लेगी है, जो देश के लिए कुछ करते हैं। इस तरह से अब चुनावों में प्रचार के माध्यम से और पैसों के दम पर कोई किसी जनता को मूर्ख नहीं बना सकता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि चुनावों में सही पार्टी के द्वारा हम अपने देश का भविष्य सुधार सकते हैं।  हमें चाहिए कि नेताओं के विषय में सारी जानकारी एकत्र करें। सरकार के कार्य पर नज़र रखें। इन सबको ध्यान में रखकर ही सही व्यक्ति के नाम पर मतदान करें।


Solution : आत्मत्राण. कविता में कवि की प्रार्थना से यह संदेश मिलता है कि मनुष्य के सामने कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आएँ उसे ईश्वर पर से अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए। उसे संसार के सभी लोगों से वंचना मिले पर प्रभु पर से उसका विश्वास डगमगाए नहीं। मानव को ईश्वर से दुखों को दूर करने की प्रार्थना नहीं अपितु उसकी प्रार्थना होनी चाहिए कि ईश्वर उसे इतनी शक्ति दे जिससे वह उन दुखों को स्वयं से दूर कर सके साथ ही मनुष्य को सकारात्मक सोच दें मनुष्य को प्रभु से समस्त विपदाओं से लड़ने की आत्मशक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। समय कितना भी विषम हो, उसे केवल धैर्य के साथ स्वयं से उन स्थितियों से जूझना चाहिए और प्रभु से मात्र आत्मशक्ति की याचना होनी चाहिए। सुख के क्षण में भी ईश्वर को याद करना चाहिए। संसार द्वारा धोखा देने पर ईश्वर पर संदेह नहीं करना चाहिए।

आत्मत्राण कविता हमें क्या संदेश देती है?

आत्मत्राण कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि चाहे कितना कठिन समय हो या कितनी विपदाएँ जीवन में हों। परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहनी चाहिए। उनके अनुसार जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही, मनुष्य का भगवान पर से विश्वास हट जाता है।

आत्मत्राण कविता का मूल उद्देश्य क्या है?

उत्तर : कवि कहता है कि दुख के समय में यदि कोई उसे सांत्वना नहीं देता तो भी उसे गम नहीं है, वह तो बस इतना चाहता है कि ईश्वर उसे दुखों पर विजय पाने की शक्ति प्रदान करें । यदि दुख के क्षण में कोई सहायक न मिले तो भी कवि चाहता है कि उसका आत्मिक बल और पराक्रम बना रहे। वह स्वयं दुखों से संघर्ष करके उन पर विजय पाना चाहता है।

प्रेरणा इस कविता में क्या संदेश दिया है?

Answer. इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार वसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यो से समाज, राष्ट्र व विश्व की आभामय बनाना चाहिए। एस कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें। कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?

आत्मत्राण कविता में कौन किससे प्रार्थना कर रहा है?

उत्तर: कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है। वह यह चाहता है कि वह हर मुसीबत का सामना खुद करे। भगवान उसे केवल इतनी शक्ति दें कि मुसीबत में वह घबड़ा न जाए। वह भगवान से केवल आत्मबल चाहता है और स्वयं सब कुछ के लिए मेहनत करना चाहता है।