who was teacher guru of Meera Bai in hindi मीराबाई name के गुरु कौन थे , के गुरु का नाम क्या था Show उत्तर : प्रसिद्ध व्यक्ति “मीराबाई” के गुरू का नाम “रैदास” था | question : guru name of famous person “Meera Bai” answer : “Raidas” was the guru or teacher of “Meera Bai”. प्रश्न : मीराबाई को शिक्षा किसने दी थी अर्थात मीराबाई के शिक्षक का नाम बताइए ? उत्तर : रैदास ने मीराबाई को शिक्षा प्रदान की थी | कहने का तात्पर्य है मीराबाई के शिक्षक का नाम “रैदास” था | question : who teaches to Meera Bai in hindi ? answer : famous personality Meera Bai was taught by guru “Raidas”. प्रश्न : मीराबाई और रैदास का सम्बन्ध क्या था ? उत्तर : मीराबाई और रैदास का सम्बन्ध गुरु और शिष्य का था | question : what was the relation between Meera Bai and Raidas in hindi ? answer : Meera Bai and Raidas has the relation of teacher and a student.
Ravidas Jayanti 2019 इस बार 19 फरवरी को मनाई जाएगी. संत रैदास जयंती को लोग हर साल बड़े उत्साह से मनाते हैं.Ravidas Jayanti 2019 इस बार 19 फरवरी को मनाई जाएगी. संत रैदास जयंती को लोग हर साल बड़े उत्साह से मनाते हैं. Magha Purnima 2019: इस बार बन रहे तीन महायोग, बढ़ जाएगा दान-स्नान का महत्व… कौन थे संत रविदास गुरु रविदास को रैदास भी कहा जाता है. उन्हें महान संत, दार्शनिक, कवि, समाज सुधारक और भक्त के तौर पर जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास जयंती मनाई जाती है. मीरा के गुरु ऐसा कहा जाता है कि संत रविदास ही मीरा के गुरु थे. मीराबाई उनसे काफी प्रेरित थीं. कई कहानियों में उल्लेख मिलता है कि उन्होंने कई बार मीरा की जान बचाई. साथ ही उन्हें भक्ति का ज्ञान भी दिया. संत रैदास के दोहे (अर्थ सहित) मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थ- अगर आपका मन और हृदय पवित्र है तो ईश्वर आपके हृदय में निवास करते हैं. जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात अर्थ- जिस तरह केले के तने को छीला जाये तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता, लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है. ठीक उसी तरह इंसान को भी जातियों में बांट दिया गया. इन जातियों के विभाजन से इन्सान तो अलग-अलग बंट जाता है और अंत में इन्सान भी खत्म हो जाते हैं लेकिन ये जाति खत्म नही होती. Ravidas Jayanti 2019: कब है संत रविदास जयंती, जानिए इनका पूरा जीवन परिचय हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास अर्थ- हीरे से बहुमूल्य हरि यानि ईश्वर को छोड़कर लोग अन्य चीजों की आशा करते हैं. ऐसे लोगों को नर्क जाना पड़ता है. यानी प्रभु की भक्ति को छोडकर कहीं और भटकना व्यर्थ है. करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास अर्थ–हमें हमेशा कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नही छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म करना हमारा धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य है. रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच, नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच अर्थ- सिर्फ जन्म लेने से कोई नीच नही बन जाता है, इन्सान के कर्म ही उसे नीच बनाते हैं. कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै अर्थ– ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है. यदि आपमें थोड़ा सा भी अभिमान नही है तो निश्चित ही आपका जीवन सफल रहता है ठीक वैसे ही जैसे एक विशालकाय हाथी शक्कर के दानो को बिन नही सकता लेकिन एक तुच्छ सी दिखने वाली चींटी शक्कर के दानों को आसानी से बिन लेती है. धर्म की और खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें धर्म की और अन्य ताजा-तरीन खबरें पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो। इन पंक्तियों को पढ़कर आपके जेहन में आ गया होगा की में किस के बारे
में बात कर रहा हूँ, जी हाँ वह है भक्तिकाल की महान विदुषी ‘मीराँबाई’ जीवन परिचय जन्म तथा शिक्षा जीवनकाल सम्बंधी तथ्य कृष्ण से लगाव विवाह पति की मृत्यु हत्या के प्रयास द्वारिका में वास मान्यताएँ “आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन, विरह कलेजा खाय॥ ?मीराबाई के मन में श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम की उत्पत्ति से संबंधित एक अन्य कथा भी मिलती है। इस कथानुसार, एक बार एक साधु मीरा के घर पधारे। उस समय मीरा की उम्र लगभग 5-6 साल थी। साधु को मीरा की माँ ने भोजन परोसा। साधु ने अपनी झोली से श्रीकृष्ण की मूर्ति निकाली और पहले उसे भोग लगाया। मीरा माँ के साथ खड़ी होकर इस दृश्य को देख रही थीं। जब मीरा की नज़र श्रीकृष्ण की मूर्ति पर गयी तो उन्हें अपने पूर्व जन्म की सभी बातें याद आ गयीं। इसके बाद से ही मीरा कृष्ण के प्रेम में मग्न हो गयीं। जीव गोस्वामी से भेंट ‘वृन्दावन आई जीव गुसाई जू सो मिल झिली, तिया मुख देखबे का पन लै छुटायौ। मीरा का पत्र मीराबाई के पत्र का जबाव गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस
प्रकार दिया था- गुरु ग्रन्थ रचना ?इसके अतिरिक्त उनके गीतों का संकलन “मीराबाई की पदावली” नामक ग्रन्थ में किया गया है, जिसमें निम्नलिखित खंड प्रमुख हैं- पद ✒पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो मीराबाई की साधु-संतों से संगत? मीराबाई पर की गयी सख़्ती का मूल कारण था, उनका साधु-सन्तों के साथ उठना-बैठना। “मैं तो नाहीं रहूँ, राणा जी थारा देश में।” भाषा मीराबाई द्वारा प्रयुक्त सांगितिक पद्धति अतः इस प्रकार वाणी का अध्ययन करने से यह ज्ञात होता है कि मीराबाई ने अपनी वाणी में छन्द, अलंकार, रस और संगीत का पूर्णतया प्रयोग किया और इसे आध्यात्म का मार्ग बनाया, जो कि वर्तमान के लिए प्रेरणा है। ?मीराबाई ने ‘भारतीय शास्त्रीय संगीत’ को संजोए रखने में एक अनोखी कड़ी जोड़ दी, जिसका प्रमाण तथा पुष्टि विभिन्न ग्रन्थों के अवलोकन करने पर स्पष्ट होती है। अतः इस पद्धति को मीराबाई ने अपनाया और अपनी वाणी को संगीत के साथ जोड़कर आध्यात्म के साथ-साथ संगीत का भी प्रचार-प्रसार किया, साथ ही संगीत को जीवित रखने में भी अपनी सहमति तथा हिस्सेदारी पाई। ‘मीरा’ फ़िल्म का निर्माण मृत्यु जिन चरन धरथो गोबरधन गरब- मधवा- हरन।। मीरा जी के गुरु कौन थे?मीरा बाई ने कृष्ण भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है। संत रैदास या रविदास उनके गुरु थे।
मीराबाई किसकी भक्ति करते थे?मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती है। मीरा बाई ने जीवनभर भगवान कृष्ण की भक्ति की और कहा जाता है कि उनकी मृत्यु भी भगवान की मूर्ति में समा कर हुई थी।
मीरा किसका अवतार थी?कहते हैं कि मीराबाई द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण की ललिता नामक सखी थी जो इस कलयुग में परम कृष्णभक्त के रूप में राणा सांगा के घर में अवतरित हुई।
मीरा की माता का नाम क्या था?वीर कुमारीमीराबाई / मांnull
|