परागण किसे कहते हैं तथा कितने प्रकार का होता है? - paraagan kise kahate hain tatha kitane prakaar ka hota hai?

जब परागकण परागकोष से वर्तिकाग्र तक स्थानांतरित होते हैं तो उसे परागण कहते हैं. परागकणों का स्थानांतरण बहुत से माध्यमों, जैसे-वायु, जल, कीट तथा अन्य कारको से होता है.

परागण दो प्रकार के होते हैं- स्व-परागण एवं पर-परागण.

स्व-परागण (Self Pollination)

जब किसी पुष्प के परागकोष से उसी पुष्प के अथवा उस पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकान तक, परागकणों का स्थानांतरण होता है तो उसे स्व-परागण कहते हैं.

पर-परागण (Cross Pollination)

जब एक पुष्प के परागकोष से उसी जाति के दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र तक परागकणों का स्थानांतरण होता है तो उसे पर-परागण कहते हैं.

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख परागण किसे कहते हैं प्रकार (What is Pollination its type) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप परागण किसे कहते हैं?

परागण के प्रकार, परागण की विधियाँ, परागण के उदाहरण के साथ अन्य तथ्यों को जानेंगे, तो आइये करते है शुरू यह लेख परागण किसे कहते हैं प्रकार:-

पादप का वर्गीकरण

परागण किसे कहते हैं तथा कितने प्रकार का होता है? - paraagan kise kahate hain tatha kitane prakaar ka hota hai?


परागण किसे कहते हैं What is Pollination

परागणकण का निर्माण पुष्प के नर प्रजनन अंग पुंकेसर में होता है, जो पुष्पों के निषेचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनका निर्माण पुंकेसर के परागकोष में स्थित चार कोष जिन्हें परागपुट कहते हैं में होता है।

जब परागकण अपने नर अंग पुंकेसर के परागकोष से किसी भी माध्यम से उसी जाति के पौधों के पुष्प के मादा अंग जायांग के वर्तिकाग्र तक पहुंचते हैं तब इस प्रक्रिया को परागण कहते हैं।

साधारण भाषा में कहा जा सकता है, कि परागण वह एक प्रक्रिया है, जो विभिन्न माध्यमों के फलस्वरूप और स्वतः होती है, जिसमें पुष्प के पुंकेसर के परागकोष से परागकण मुक्त होते हैं और उसी जाति के पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते है।

परागण के प्रकार Pollination Type 

परागण को दो प्रकार से विभाजित किया गया है:-

स्वपरागण Self Pollination

स्वपरागण किसे कहते है - स्वपरागण वह परागण होता है,जिसमें एक पौधे के पुष्प के नर अंग पुंकेसर के परागकोष से परागकण निकल कर उसी पौधे के उसी पुष्प के मादा अंग जायांग के वर्तिकाग्र पर पहुँचते है,

या फिर उसी पौधे के अन्य पुष्प के मादा  अंग के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं, इस प्रकार के परागण को स्वपरागण कहा जाता है।

स्वपरागण के लाभ Benefit of Pollination 

स्वपरागण के लिए विभिन्न प्रकार के माध्यम जल, वायु कीट, पक्षी आदि की आवश्यकता नहीं होती है। स्वपरागण में पौधों को आकर्षित करने के लिए

विभिन्न प्रकार की आकर्षण गतिविधियाँ पौधों को नहीं करनी पड़ती है इसीलिए उनकी ऊर्जा का अधिक हास नहीं होता।

स्वपरागण की प्रक्रिया में परागण उसी पुष्प या उसी पौधे के अन्य पुष्प में होता है, इसलिए परागकणों की बर्बादी नहीं होती है।

स्वपरागण की प्रक्रिया में जो पौधे उत्पन्न होते हैं, उनके लक्षण नहीं बदलते उनके लक्षण उनके पेरेंट्स पौधों के लक्षण एक समान होते हैं, इसके साथ ही पुष्पों में निषेचन और परागण सुनिश्चित हो जाता है।

स्वपरागण से हानि Loss of Pollination 

स्वपरागण से जो पौधे उत्पन्न होते हैं, अगर उनमें अनुवांशिक दोष उत्पन्न हो जाता है तो इस समस्या का हल नहीं कर सकते, जबकि इनमें बनने वाली संताने दुर्बल बनती हैं, और वातावरण के लिए अनुकूलित नहीं होती है। 

पर परागण Cross Pollination 

पर परागण किसे कहते है - पर परागण वह परागण होता है, जिसमें एक पौधे के पुष्प के नर अंग पुंकेसर के परागकोष से परागकण मुक्त होते हैं,

किंतु यह परागकण अन्य पौधों के पुष्पों के मादा अंग जायांग के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं, इस प्रकार के परागण को पर परागण कहा जाता है, किंतु इस परागण के लिए किसी न किसी माध्यम की आवश्यकता होती है।

पर परागण के लाभ Benefit of Cross Pollination 

पर परागण से जिन फलों का निर्माण होता है, वह आकार में बहुत अधिक बड़े तथा स्वादिष्ट होते हैं, इनसे जो बीज निकलते हैं, वह बड़े आकार में तथा स्वस्थ और उत्पादन की दृष्टि से अच्छे होते हैं।

इन बीजों से जो वृक्षों का निर्माण होता है, जो पौधे बनते हैं, वह आकार में बड़े, स्वास्थ्य तथा अच्छे फल देते हैं। परागण के पश्चात विभिन्न प्रकार की पौधों की प्रजातियाँ बिना किसी अवरोध के उत्पन्न होती हैं 

पर परागण से हानि Loss of Cross Pollination 

पर परागण की क्रिया में साधनों की उपलब्धता ठीक समय पर नहीं होती है, इस कारण से बहुत ही कम पुष्प परागित हो पाते हैं,

क्योंकि परागण के लिए विभिन्न माध्यम वायु, कीट, जल आदि की जरूरत पड़ती है जो सही समय तथा स्थान पर उपलब्ध नहीं हो पाते।

पर परागण कीटों के द्वारा होता है, इसलिए कीटों को आकर्षित करने के लिए पौधों को कीटों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न आकर्षण गतिविधियाँ अपनानी पड़ती है, जैसे कि पौधों का रंग चमकीला होना,

सुगंध उत्पादित करना जिस कारण से कीट पौधों के प्रति आकर्षित होते हैं, किंतु इस प्रक्रिया में पौधों की अधिक ऊर्जा का हास हो जाता है, पर परागण के फलस्वरुप जो भी पौधे नई जातियाँ उत्पन्न होती हैं वह सभी संकर होती हैं। 

परागण की विधियाँ Methods of Pollination 

परागण की निम्न प्रकार की विधियाँ है

वायु परागण Wind pollination

वायु परागण किसे कहते है - वायु द्वारा होने वाला परागण वायु परागण (Anemophilli) कहलाता है, जब तेज वायु चलती है,

तो परागकण परागकोष से निकलकर वायु में उड़ जाते हैं और फिर उसी पौधे के पुष्प या अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचते हैं। यह परागण प्रमुख रूप से स्थलीय पौधों में होता है।

कीट परागण Insect pollination

कीट परागण किसे कहते है- कीटो द्वारा परागण होना ही कीट परागण कहलाता है, जब विभिन्न प्रकार के छोटे-मोटे कीट उड़कर पौधों के पुंकेसर पर बैठते हैं,

तो परागकोष से परागकण मुक्त होकर उनके पैरों में चिपक जाते हैं, जब यही कीट उड़कर उसी पौधे के या अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं,

तब उनके पैरों से परागकण छूटकर उस पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिर जाते हैं, इसे कीट परागण कहा जाता है, जबकि इसको (Entomophilly) भी कहा जाता है।

जल परागण Water Pollination 

जल परागण किसे कहते है - जल परागण को हाइड्रोफिली (Hydrophilli) के नाम से जाना जाता है, जो प्रमुख रूप से जल में पाए जाने वाले पौधों में देखने को मिलता है।

इस परागण में पौधों के पुष्प के परागकोष के परागकण जल में मुक्त हो जाते हैं, तथा बहते हुए जल के साथ अन्य पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचते हैं।

जंतु परागण Animal Pollination 

जंतु परागण किसे कहते है - विभिन्न प्रकार के जंतुओं के द्वारा होने वाला परागण जंतु परागण (Zoophilli) कहलाता है, इससे परागण में विभिन्न प्रकार के जंतु माध्यम बनते हैं, तथा परागकण का स्थानांतरण एक पुष्प से दूसरे पुष्प पर हो जाता है।

पक्षी परागण Bird Pollination 

जब परागण विभिन्न पक्षियों के द्वारा होता है, तब उसको पक्षी परागण (Ornithophilli) कहते हैं, इसको अन्य नाम ऑर्निथोफिली के नाम से भी जाना जाता है।

इस परागण में विभिन्न प्रकार के पक्षी माध्यम का कार्य करते हैं, अर्थात पक्षियों के पैरों में परागकण चिपक जाते हैं, जो उसी पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र या अन्य पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं।

मेलेकोफिलस Malacophilous 

इस परागण को मेलेकोफिली (Malacophilli) परागण के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें माध्यम का कार्य घोघा करता है।

चिरेप्टोफिलस Chiroptophilous 

यह वह परागण होता है, जिसमें परागण का माध्यम चमगादड़ होता है। इस परागण को चिरेप्टोफिलस (Chiroptophilli) भी कहते है। 

परागण के उदाहरण Pollination Example 

जल परागण वेलेस्नेरिया में देखने को मिलता है, जो जल के सतह पर होता है, जिसमें मादा पुष्प का वृंत अकुंडलित तथा लम्बा होता है,

जबकि नर पुष्प भी स्वतंत्र रूप से तैरता रहता है, जब दोनों का संपर्क होता है, तो उनमें परागण की क्रिया सम्पन्न होती है।

जल के अंदर परागण सिरेटोफिल्लम में होता है। यह पौधा उभयलिंगी होता है, जिसमें परागकोष परिपक्व होकर फट जाता है,

जिससे उसके परागकण जल में मिल जाते है, जब मादा पुष्प जल की लहरों के साथ गतिशील होता है, तब इसके चिपचिपे वर्तिकाग्र पर परागकण चिपक जाते है और परागण होता है।

दोस्तों आपने इस लेख परागण किसे कहते हैं, प्रकार (What is Pollination its type) के साथ अन्य तथ्यों को जाना। आशा करता हुँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा।

परागण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?

Solution : परागण-परागकोश से परागकणों का फूल की वर्तिका पर स्थानांतरण परागण कहलाता है। परागण दो प्रकार का होता है <br> (1) स्व-परागण, (2) पर-परागण। <br> 1. स्व-परागण जब एक फूल के परिपक्व परागकण उसी फूल की स्त्रीकेसर की वर्तिकान पर पहुँच जाते हैं, तो इसे स्व-परागण कहते हैं

परागण क्या है in Hindi?

परागण एक पौधे के परागकोष से पौधे के वर्तिकाग्र तक पराग का स्थानांतरण है, जो बाद में निषेचन और बीजों के उत्पादन को सक्षम बनाता है, जो अक्सर किसी वाहक जैसे वायु, जल अथवा पशुओं द्वारा सम्पन्न होता है। परागण अक्सर एक प्रजाति के भीतर होता है।

परागण क्या है यह कहां पाए जाते हैं विभिन्न प्रकार के परागण का उल्लेख कीजिए?

पौधों में पराग कण (Pollen grains) का नर-भाग (परागकोष - Anther) से मादा-भाग (वर्तिकाग्र - Stigma) पर स्थानातरण परागण (Pollination) कहलाता है। परागन के उपरान्त निषेचन की क्रिया होती है और प्रजनन का कार्य आगे बढ़ता है। बहुबीजाणुता किसे कहते है।