Show महाराणा प्रताप के घोड़े की क्या विशेषता थी?माना जाता है की चेतक बहुत ही समझदार और वीर घोड़ा था। हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल सेना से अपने स्वामी महाराणा प्रताप की जान की रक्षा के लिए चेतक 25 फीट गहरे दरिया से कूद गया था। हल्दीघाटी में बुरी तरह घायल होने पर महाराणा प्रताप को रणभूमि छोड़नी पड़ी थी और अंत में इसी युद्धस्थल के पास चेतक घायल हो कर उसकी मृत्यु हो गई।
महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में इतिहास में क्या कहा गया है?हल्दी घाटी-(१५७६) के युद्ध में चेतक ने अपनी अद्वितीय स्वामिभक्ति, बुद्धिमत्ता एवं वीरता का परिचय दिया था। युद्ध में बुरी तरह घायल हो जाने पर भी महाराणा प्रताप को सुरक्षित रणभूमि से निकाल लाने में सफल वह एक बरसाती नाला उलांघ कर अन्ततः वीरगति को प्राप्त हुआ।
चेतक कविता का हिंदी में भावार्थ क्या होगा?कवि कहते है कि युद्ध के मैदान में चेतक चारों और से शत्रुओं का सामना करता था । ऐसा कोई स्थान शेष नहीं था, जहां उसकी वीरता का परिचय न मिला हो । नदी की लहरों के समान वह आगे बढ़ता था । वहाँ जहाँ भी जाता, थोडा ठहर जाता फिर भयानक बादलों सा शत्रुओं की सेना पर छा जाता हैं ।
राणा प्रताप के घोड़े से किसका पाला पड़ गया था?12।। चेतक बन गया निराला था। पड़ गया हवा को पाला था।।
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