शक्ति और क्षमा कविता का मुख्य संदेश क्या है? - shakti aur kshama kavita ka mukhy sandesh kya hai?

शक्ति और क्षमा कविता के मुख्य संदेश क्या है विस्तार में इसका उत्तर दीजिए?...


चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

आपने पूछा है शक्ति और क्षमा कविता के मुख्य संदेश क्या है विस्तार में इस वक्त तो मैं आपको टच शक्ति किसी चीज को प्रकट करने को शक्ति क्षमा हम नगर कोई कोई गलती कर दी है तो उस चीज की हमें क्षमा मांगते हैं धन्यवाद

Romanized Version

शक्ति और क्षमा कविता का मुख्य संदेश क्या है? - shakti aur kshama kavita ka mukhy sandesh kya hai?

1 जवाब

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कविता पाठ तेरह ‘ Shakti or Kshama ( शक्ति और क्षमा )’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।

शक्ति और क्षमा कविता का मुख्य संदेश क्या है? - shakti aur kshama kavita ka mukhy sandesh kya hai?

13 शक्ति और क्षमा
क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा,
पर नर-व्याघ्र, सुयोधन तुमसे
कहो कहाँ, कब हारा?
क्षमाशील हो रिपु समक्ष
तुम हुए विनत जितना ही,
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही ।
क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो,
उसको क्या, जो दंतहीन,
विषहीन, विनीत, सरल हो

सरलार्थ-भीष्म युधिष्ठिर को समझाते हुए कहते हैं कि क्षमा, दया, तपस्या, त्याग, नैतिक साहस सबका तो तुमने सहारा लिया (सभी उपाय तो तुमने किये) लेकिन मनुष्यों में बाघ के समान हिंसक दुर्योधन कहाँ कभी तुम्हारे आगे झुका? शत्रु के सामने क्षमाशील बनकर तुम जितने ही नम्र हुए, दुष्ट कौरवों ने तुम्हें उतना ही डरपोक समझा।
क्षमा तो उस सर्प के लिए सराहनीय है जिसके पास विष भी हो। जिस साँप के ‘ पास दाँत ही न हो, विष भी न हो, वह साँप यदि अहिंसा या क्षमा का व्रत धारण कर ले, तो उसकी क्षमा को कौन सराहेगा? वह तो उसकी लाचारी होगी। Shakti or Kshama class 7 Saransh

तीन दिवस तक पंथ माँगते
रघुपति सिन्धु किनारे,
बैठे पढ़ते रहे gk,
अनुनय के प्यारे-प्यारे।
उत्तर में जब एक नाद भी
उठा नहीं सागर से;
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम के शर से ।
सिन्धु देह धर ‘त्राहि-त्राहि’
करता आ गिरा शरण में,
चरण पूज, दासता ग्रहण की
बँधा मूढ़ बंधन में।

सरलार्थ–उदाहरण देते हुए भीषण आगे कहते हैं कि राम लंका-विजय के लिए समद्र पर पुल बाँधना चाहते थे। समुद्र उनके कार्य में बाधा डाल रहा था। तीन दिनों तक राम समुद्र से प्रार्थना करते रहे। किन्तु समुद्र पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यह हठी एकदम मौन रहा। ____ तब राम को धैर्य न रहा। उनका पुरुषार्थ जग उठा। उन्होंने धनुष पर वाण चढ़ाया। समुद्र को सुखा डालने के लिए वाणं से ज्वालाएँ निकलने लगीं।
यह देखते ही समुद्र घबड़ा-कर शरीर धारण कर ‘रक्षा करें, रक्षा करें’ कहता राम की शरण में आ गिरा। उसने राम के चरण पूजे। वह राम का सेवक बना और उस पर पुल बाँध दिया गया। Shakti or Kshama class 7 Saransh

सच पूछो, तो शर में ही
वसती है दीप्ति विनय की,
संधि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की ।
सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है,
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है।     

 
सरलार्थ–रामचरितमानस की कथा से उदाहरण देते हुए भीष्म युधिष्ठिर से कहते हैं कि सच तो यह है कि वीरता में ही नम्रता की आभा निवास करती है। शक्ति है तभी नम्रता का प्रभाव भी हो सकता है। जिसमें युद्ध जीतने की शक्ति है उसी का सुलहप्रस्ताव भी आदर पाता है। जिसके पास शक्ति है, उसी की क्षमा, दया, सहनशीलता आदि गुणों को संसार पूजता है।

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Ganga stuti class 7th Hindi

Nachiketa in hindi class 7

Post Views: 328

Reader Interactions

शक्ति और क्षमा शीर्षक कविता से हमें क्या सीख मिलती है?

इस कविता के माध्यम से हमें सीख मिलती है कि क्षमा, दया और विनम्रता के साथ हमें अपने पौरुष का उपयोग करना चाहिए । शक्तिहीन मनुष्य को क्षमा, दया, विनम्रता शोभा नहीं देती है। अर्थात् शक्तिमान व्यक्ति को ही क्षमा, दया और विनम्रता शोभता है।

शक्ति और क्षमा में क्या संबंध है?

उत्तर: जिसके पास शक्ति एवं पराक्रम होता है, क्षमा उसे ही शोभा देती है।

शक्ति और क्षमा कविता में कौन किससे बात कर रहा है?

उत्तर: इस कवितांश में कवि ने महाभारत की घटनाओं की ओर संकेत करते हुए यह शिक्षा दी है कि व्यक्ति को क्षमा, सहनशीलता, दया, त्याग आदि गुण अवश्य अपनाने चाहिए, परन्तु इनके साथ ही पराक्रम, शक्ति, पौरुष एवं शौर्य को भी अपनाना चाहिए। पराक्रमी अथवा चालबाज अन्यायी व्यक्ति के सामने क्षमा या दया की बात करना कायरता मानी जाती है।

क्षमा शोभती उस भुजंग को किसकी कविता है?

क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो: रामधारी सिंह "दिनकर"