दुर्योधन ने कर्ण को क्या कहा? - duryodhan ne karn ko kya kaha?

महाभारत की कहानी में सिर्फ दुश्मनी नहीं है, बल्कि इसमें दोस्ती और प्यार के कई किस्से भी शामिल हैं। कर्ण और दुर्योधन की मित्रता भी महाभारत में दोस्ती की मिसाल पेश करती है। इनकी गहरी दोस्ती की कई कहानियां महाभारत में प्रचलित हैं। आइए, जानते हैं उन घटनाओं के बारे में।

एक बार की बात है, गुरु द्रोणाचार्य ने राजकुमारों के बीच प्रतियोगिता रखी, जिसमें उन्हें कई करतब दिखाने थे। इस प्रतियोगिता में भाग लेने कौरवों और पांडवों के अलावा दूर-दूर के राज्यों से भी राजकुमार आए थे। इस प्रतियोगिता में अर्जुन ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन तभी वहां कर्ण आ गया। कर्ण ने वो सारे करतब कर दिखाए, जो अर्जुन कर चुका था। इसके बाद कर्ण ने अर्जुन को मुकाबले के लिए ललकारा, लेकिन गुरु द्रोणाचार्य ने इस मुकाबले के लिए मना कर दिया, क्योंकि कर्ण कोई राजकुमार नहीं था और यह प्रतियोगिता राजकुमारों के बीच थी।

वहीं, दुर्योधन नहीं चाहता था कि यह प्रतियोगिता अर्जुन जीत जाए, इसलिए दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का राज सौंप दिया और उसे अंगराज घोषित कर दिया। इस तरह दुर्योधन ने कर्ण को अर्जुन से मुकाबला करने की योग्यता दी। इस घटना के बाद कर्ण सदा दुर्योधन का आभारी रहा और उसे अपना परम मित्र मानने लगा। कर्ण ने हमेशा दुर्योधन की मदद की और एक ईमानदार साथी का फर्ज निभाया।

कर्ण बहुत वीर था, इसलिए वह दुर्योधन को योद्धा की तरह लड़ने की शिक्षा देता था। दुर्योधन जब भी अपने मामा शकुनि के बहकावे में आकर पांडवों को धोखा देने की सोचता, तो कर्ण उसे कायर कहकर धिक्कार देता था। एक बार दुर्योधन ने जब पांडवों को जलाकर मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण करवाया, तो कर्ण को यह बात बहुत बुरी लगी। कर्ण ने कहा, “दुर्योधन तुम्हें युद्ध के मैदान में अपनी वीरता का प्रदर्शन करना चाहिए, न कि छल कपट करके अपनी कायरता का प्रदर्शन करना चाहिए।”

कर्ण ने हमेशा मुसीबत में फंसे दुर्योधन का साथ दिया। दुर्योधन चित्रांगद की राजकुमारी से शादी करना चाहता था, लेकिन राजकुमारी ने उसे स्वयंवर में अस्वीकार कर दिया था। दुर्योधन तिलमिलाकर राजकुमारी को जबरदस्ती उठा लाया। अन्य राजा दुर्योधन के पीछे-पीछे भागे, वो दुर्योधन को मार देना चाहते थे। यहां भी कर्ण ने दुर्योधन की मदद की और सभी राजाओं को परास्त कर दिया। महाभारत में कई ऐसी घटनाएं हैं, जो साबित करती हैं कि कर्ण एक वीर योद्धा और दुर्योधन का वफादार साथी था।

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कर्ण

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प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-1  पांडवों ने कौन-कौन से ऋषियों से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा पाई?

उत्तर-  पांडवोंनेपहलेकृपाचार्यसेऔरबादमेंद्रोणाचार्यसेअस्त्र - शस्त्रकी शिक्षापाई।

प्रश्न-2   कर्ण कौन था और उसने दुर्योधन से क्या कहा?

उत्तर-  कर्णअधिरथद्वारापोषितकुंतीपुत्रथा।कर्णने दुर्योधनसेकहाकिवहअर्जुनसेद्वंद्धयुद्धऔरउससेमित्रताकरनाचाहताहै।

प्रश्न-3 इंद्र को किस बात का डर था?

उत्तर -  इंद्रकोडरथाकिभावीयुद्धमेंकर्णकीशक्तिसेअर्जुनपर विपत्तिसकतीहै।

प्रश्न-4   इंद्र ने बूढ़े ब्राह्मण का वेश क्यों धारण किया?

उत्तर -  इंद्रकोडरथाकिभावीयुद्धमें कर्णकीशक्तिसेअर्जुनपरविपत्तिसकतीहै।  इसकारणकर्णकीशक्तिकमकरने कीइच्छासेउन्होंनेबूढ़ेब्राह्मणकावेशधारणकरकेअंगनरेशकर्णसेउनकाजन्मजात कवचऔरकुंडलभिक्षामेंमाँग लिया।

प्रश्न-5   बूढ़े ब्राह्मण के वेश में इंद्र ने कर्ण से क्या भिक्षा माँगी?

उत्तर -   बूढ़े ब्राह्मण के वेश में इंद्र ने कर्ण से उनका जन्मजात कवच और कुंडल भिक्षा में माँगी।

प्रश्न-6   दुर्योधन ने किसकी अनुमति से कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया?

उत्तर -   दुर्योधन ने पितामह भीष्म एवं पिता धृतराष्ट्र की अनुमति से कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया।

प्रश्न-7सूर्यदेव ने कर्ण को किस बात के लिए सचेत किया?

उत्तर -  कर्णकोसूर्यदेवने पहलेहीसचेतकरदियाथाकिउसेदोखादेनेकेलिएइंद्रब्राह्मणकावेशधारण करकेआयेंगें।

प्रश्न-8   कर्ण एक दानवीर था। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -  कर्णइतनादानीथाकिकिसीकेकुछमाँगनेपर वहमनाकरहीनहींसकताथा।इसकारणयहजानतेहुएभीकिभिखारीकेवेश मेंइंद्रधोखाकररहेंहैं, कर्णनेअपनेजन्मजातकवचऔरकुंडलनिकालकरउनकोभिक्षा मेंदेदिए।

प्रश्न-9इंद्र क्या देखकर चकित रह गए?

उत्तर - इंद्रकर्णकीअदभूतदानवीरताकोदेखकरचकितरह गए।

प्रश्न-10   कर्ण ने देवराज इंद्र से क्या वरदान माँगा?

उत्तर -  कर्णनेदेवराजसेकहाकिअगरवहउससेप्रसन्नहैं, तोशत्रुओंकासंहारकरनेवालावहअपना 'शक्ति' नामकशास्त्रउसेप्रदानकरें।

प्रश्न-11कर्ण ने ब्रह्मास्त्र चलाना किस प्रकार सीखा?

उत्तर -  कर्णब्राह्मणकेवेशमेंपरशुरामजीकेपासगयाऔरप्रार्थनाकीकिउसे शिष्यस्वीकारकरनेकीकृपाकरें।परशुरामनेउसेब्राह्मणसमझकरशिष्यबनालिया।इस प्रकारछलसेकर्णनेब्रह्मास्त्रचलानासीखा।

प्रश्न-12परशुराम ने कर्ण को शाप क्यों दिया?

उत्तर -  जबपरशुरामकोपता चलाकीकर्णनेछलसेउनसेब्रह्मास्त्रचलानासीखाहैतोपरशुरामनेक्रोधमें कर्णकोशापदेदिया।

प्रश्न-13भीष्म और आचार्य द्रोण के आहत हो जाने पर दुर्योधन ने किसे कौरव सेना का सेनापति बनाया?

उत्तर -  भीष्मऔरआचार्यद्रोणके आहतहोजानेपरदुर्योधननेकर्णकोकौरवसेनाकासेनापतिबनाया।

प्रश्न-14कर्ण की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर -  जब शापवश कर्ण के रथ का पहिया ज़मीन में धँस गया और वह धनुष बाण रख कर ज़मीन में धँसा हुआ पहिया निकलने लगा, तभी अर्जुन ने उस महारथी पर प्रहार किया और उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न-15कर्ण ने अर्जुन से क्या कहा?

उत्तर - कर्णनेअर्जुनसेकहाकि जोभीकरतबउसनेयहाँदिखाएहैं, उनसेबढ़करकौशलवहदिखासकताहै।

प्रश्न-16अर्जुन ने पाठ में क्या निंदा योग्य बताया है?

उत्तर -  सभामेंजोबिनाबुलाएआतेहैंऔरजोबिनाकिसीकेपूछेबोलने लगतेहैं, उसेअर्जुननेनिंदायोग्यबतायाहै।

प्रश्न-17सभी दर्शक और राजवंश के सभी उपस्थित लोग क्या देख कर दंग रह गए?

उत्तर -  अर्जुनने धनुषविद्यामेंकमालकाखेलदिखाया।उसकीअदभुतचतुरताकोदेखकरसभीदर्शकऔर राजवंशकेसभीउपस्थितलोगदंगरहगए।

प्रश्न-18कौन रंगभूमि में अर्जुन के सामने आकर खड़ा हो गया?

उत्तर -  कर्णरंगभूमिमें अर्जुनकेसामनेआकरखड़ाहोगया।

प्रश्न-19दुर्योधन ने कर्ण को किस देश का राजा घोषित किया?

उत्तर -  दुर्योधननेकर्णको अंगदेशकाराजाघोषितकिया।

प्रश्न-20    किसनेकिससेकहा?

i.        “युद्ध में तुम जिस किसी को लक्ष्य करके इसका प्रयोग करोगे, वह अवश्य मारा जाएगा, परंतु एक ही बार तुम इसका प्रयोग कर सकोगे।”

इंद्र ने कर्ण से कहा।

ii.       “बेटा, सच बताओ, तुम कौन हो?”

परशुराम ने कर्ण से कहा।

iii.      “चूँकि तुमने अपने गुरु को ही धोखा दिया है, इसलिए जो विद्या तुमने मुझसे सीखी है, वह अंत समय में तुम्हारे किसी काम नहीं आएगी।”

परशुराम ने कर्ण से कहा।

iv.      “यह उत्सव केवल तुम्हारे लिए नहीं मनाया जा रहा है। सभी प्रजाजन इसमें भाग लेने का अधिकार रखते हैं।”

कर्ण ने अर्जुन से कहा।

v.       “मैं अर्जुन से द्वन्द्ध युद्ध और आपसे मित्रता करना चाहता हूँ।”

कर्ण ने दुर्योधन से कहा।

vi.      “सारथी के बेटे, धनुष छोड़कर हाथ में चाबुक लो, चाबुक ! वही तुम्हे शोभा देगा।”

भीम ने कर्ण से कहा।

vii.     “अज्ञात वीर! महाराज पांडु का पुत्र और कुरुवंश का वीर अर्जुन तुम्हारे साथ द्वन्द्ध युद्ध करने के लिए तैयार है।”

कृपाचार्य ने कर्ण से कहा।

दुर्योधन ने कर्ण से क्या कहा?

तब कौरवों मे सबसे ज्येष्ठ दुर्योधन ने कर्ण को अंगराज घोषित किया, जिससे वह अर्जुन से द्वंदयुद्ध के योग्य हो जाए। जब कर्ण ने दुर्योधन से पूछा कि वह उससे इसके बदले में क्या चाहता है, तब दुर्योधन ने कहा कि वह केवल यही चाहता है कि कर्ण उसका मित्र बन जाए।

कर्ण का दूसरा नाम क्या है?

कर्ण गंगाजी में बहता हुआ जा रहा था कि महाराज भीष्म के सारथी अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने उसे देखा और उसे गोद ले लिया और उसका लालन पालन करने लगे। उन्होंने उसे वासुसेन नाम दिया। अपनी पालनकर्ता माता के नाम पर कर्ण को राधेय के नाम से भी जाना जाता है।

कर्ण ने पांडवों के बारे में दुर्योधन से क्या कहा class 7?

कर्ण ने कहा- 'अज्ञातवास' की अवधि अभी पूरी नहीं हुई है। पांडवों को पुनः बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष अज्ञातवास करना होगा। आश्चर्य है कि सेना भय से काँप रही है। मैं अकेला ही युद्ध करूँगा और दुर्योधन को दिए वचन को पूरा करूँगा।

कर्ण ने अर्जुन से क्या कहा?

कर्ण ने अर्जुन से कहा था - निहत्थे पर प्रहार न करो अर्जुन ने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया तो कर्ण ने कहा कि तुम एक वीर योद्धा हो, तुम्हें ये शोभा नहीं देता है कि तुम एक निहत्थे व्यक्ति पर प्रहार करो। ये अधर्म है।