देवी पद्मावती की पूजा कैसे करें? - devee padmaavatee kee pooja kaise karen?

मां पद्मावती का यह स्तोत्र संकटमोचन
तथा प्रत्यक्ष प्रभावी है। इस स्तोत्र का नित्य 40 दिन तक पाठ करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। मां पद्मावती की

महिमा बहुत निराली है तथा मां अपने भक्त की हर आशा पूर्ण करती हैं। यहां पाठकों के लिए प्रस्तु‍त है पद्मावती माता का संकटमोचन
स्तोत्र।


।।दोहा।।

देवी मां पद्मावती, ज्योति रूप महान।

विघ्न हरो मंगल करो, करो मात कल्याण। (1)

।।चौपाई।।

जय-जय-जय पद्मावती माता, तेरी महिमा त्रिभुवन गाता।

मन की आशा पूर्ण करो मां, संकट सारे दूर करो मां।। (2)

तेरी महिमा परम निराली, भक्तों के दुख हरने वाली।

धन-वैभव-यश देने वाली, शान तुम्हारी अजब निराली।। (3)

बिगड़ी बात बनेगी तुम से, नैया पार लगेगी तुम से।

मेरी तो बस एक अरज है, हाथ थाम लो यही गरज है।। (4)

चतुर्भुजी मां हंसवाहिनी, महर करो मां मुक्तिदायिनी।

किस विध पूजूं चरण तुम्हारे, निर्मल हैं बस भाव हमारे।। (5)

मैं आया हूं शरण तुम्हारी, तू है मां जग तारणहारी।

तुम बिन कौन हरे दुख मेरा, रोग-शोक-संकट ने घेरा।। (6)

तुम हो कल्पतरु कलियुग की, तुमसे है आशा सतयुग की।

मंदिर-मंदिर मूरत तेरी, हर मूरत में सूरत तेरी।। (7)

रूप तुम्हारे हुए हैं अनगिन, महिमा बढ़ती जाती निशदिन।

तुमने सारे जग को तारा, सबका तूने भाग्य संवारा।। (8)

हृदय-कमल में वास करो मां, सिर पर मेरे हाथ धरो मां।

मन की पीड़ा हरो भवानी, मूरत तेरी लगे सुहानी।। (9)

पद्मावती मां पद्‍म-समाना, पूज रहे सब राजा-राणा।

पद्‍म-हृदय पद्‍मासन सोहे, पद्‍म-रूप पद-पंकज मोहे।। (10)

महामंत्र का मिला जो शरणा, नाग-योनी से पार उतरना।

पारसनाथ हुए उपकारी, जय-जयकार करे नर-नारी।। (11)

पारस प्रभु जग के रखवाले, पद्मावती प्रभु पार्श्व उबारे।

जिसने प्रभु का संकट टाला, उसका रूप अनूप निराला।। (12)

कमठ-शत्रु क्या करे बिगाड़े, पद्मावती जहं काज सुधारे।

मेघमाली की हर चट्टानें, मां के आगे सब चित खाने।। (13)

मां ने प्रभु का कष्ट निवारा, जन्म-जन्म का कर्ज उतारा।

पद्मावती दया की देवी, प्रभु-भक्तों की अविरल सेवी।। (14)

प्रभु भक्तों की मंशा पूरे, चिंतामणि सम चिंता चूरे।

पारस प्रभु का जयकारा हो, पद्मावती का झंकारा हो।। (15)

माथे मुकुट भाल सूरज ज्यों, बिंदिया चमक रही चंदा।

अधरों पर मुस्कान शोभती, मां की मूरत नित्य मोहती।। (16)

सुरनर मुनिजन मां को ध्यावे, संकट नहीं सपने में आवे।

मां का जो जयकारा बोले, उनके घर सुख-संपत्ति बोले।। (17)

ॐ ह्रीं श्री क्लीं मंत्र से ध्याऊं, धूप-दीप-नैवेद्य चढ़ाऊं।

रिद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति दाता, सोया भाग्य जगा दो माता।। (18)

मां को पहले भोग लगाऊं, पीछे ही खुद भोजन पाऊं।

मां के यश में अपना यश हो, अंतरमन में भक्ति-रस हो।। (19)

सुबह उठो मां की जय बोलो, सांझ ढले मां की जय बोलो।

जय-जय मां जय-जय नित तेरी, मदद करो मां अविरल मेरी।। (20)

शुक्रवार मां का दिन प्यारा, जिसने पांच बरस व्रत धारा।

उसका काज सदा ही संवरे, मां उसकी हर मंशा पूरे।। (21)

एकासन-व्रत-नियम पालकर, धूप-दीप-चंदन पूजन कर।

लाल-वेश हो चूड़ी-कंगना, फल-श्रीफल-नैवेद्य भेंटना।। (22)

मन की आशा पूर्ण हुए जब, छत्र चढ़ाएं चांदी का तब।

अंतर में हो शुक्रगुजारी, मां का व्रत है मंगलकारी।। (23)

मैं हूं मां बालक अज्ञानी, पर तेरी महिमा पहचानी।

सांचे मन से जो भी ध्यावे, सब सुख भोग परम पद पावे।। (24)

जीवन में मां का संबल हो, हर संकट में नैतिक बल हो।

पाप न होवे पुण्य संजोएं, ध्यान धरें अंतरमन धोएं।। (25)

दीन-दुखी की मदद हो मुझसे, मात-पिता की अदब हो मुझसे।

अंतर-दृष्टि में विवेक हो, घर-संपति सब नेक-एक हो।। (26)

कृपादृष्टि हो माता मुझ पर, मां पद्मावती जरा रहम कर।

भूलें मेरी माफ करो मां, संकट सारे दूर करो मां।। (27)

पद्‍म नेत्र पद्मावती जय हो, पद्‍म-स्वरूपी पद्‍म हृदय हो।

पद्‍म-चरण ही एक शरण है, पद्मावती मां विघ्न-हरण है।। (28)

।।दोहा।।

पद्‍म रूप पद्मावती, पारस प्रभु हैं शीष।

'ललित' तुम्हारी शरण में, दो मंगल आशीष।। (29)

पार्श्व प्रभु जयवंत हैं, जिन शासन जयवंत।

पद्मावती जयवंत हैं, जयकारी भगवंत।। (30)

चरण-कमल में 'चन्द्र' का, नमन करो स्वीकार।

भक्तों की अरजी सुनो, वरते मंगलाचार।। (31)

* पद्मावती मंत्र : यह चमत्कारी मंत्र देगा रोजगार और बेशुमार धन

हमारे धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मंत्रों का जाप करने से मनुष्य को आध्या‍त्मिक शक्ति प्राप्त होती है। मंत्र जाप निष्ठा और विधिपूर्वक करने से इच्छित फल भी प्राप्त होता है।
प्रतिदिन इस मंत्र का जाप आप न भी कर पा रहे हैं, तब भी आप शुक्रवार के दिन विशेष रूप से इस पद्मावती मंत्र का जाप करें। आंतरिक भाव से इस मंत्र की प्रतिदिन 1 माला जपने से मनुष्य को रोजगार और अपार धन की प्राप्ति होती है और घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रह‍ती है।

मंत्र :

ॐ नमो भगवती पद्मावती सर्वजन मोहनी,

सर्व कार्य करनी, मम विकट संकट हरणी,

मम मनोरथ पूरणी, मम चिंता चूरणी नमों।

पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर

पद्मावती मंदिर श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी की सहगामिनी (पत्नी) देवी पद्मावती जी का मंदिर है। देवी पद्मावती जी को देवी अलामेलुमंगा के नाम से भी जाना जाता है।

पद्मावती मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुचनूर में स्थित है। तिरुचनूर चित्तूर जिले का एक क़स्बा है जो कि तिरुपति से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

जैसे कि आप जानते ही हैं भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी को दक्षिण भारत में ज़्यादा पूजा जाता है। ऐसा नहीं है कि दक्षिण भारत में ही श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी की मान्यता है बल्कि पूरे भारत से श्रद्धालु उनके लिए समर्पित तिरुपति बालाजी मंदिर में उनके दर्शन करने के लिए आते हैं।

भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति बालाजी मंदिर) के बारे में हमने पहले से लेख लिखा हुआ है। आप निचे दिए गए लिंक पर उसे पढ़ सकते हैं।

भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति बालाजी मंदिर)

तो इस लेख में हम पद्मावती मंदिर के बारे में जानेंगे और साथ ही जानेंगे इस भव्य मंदिर से जुड़ी हुई अन्य जानकारी के बारे में।

पद्मावती मंदिर भारत के किस राज्य में स्थित है?

पद्मावती मंदिर भारत के दक्षिण में आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। यह चित्तूर जिले के तिरुचनूर में स्थित है। तिरुचनूर में मिले कई शिलालेखों से पता चलता है कि तिरुचनूर को “अलारुमेलुमंगा पुरम” के नाम से भी जाना जाता था परन्तु समय के साथ साथ कुछ शिलालेख नष्ट हो गए और इसका नाम “अलारुमेलुमंगा पुरम” से “अलामेलु मंगपुरम” में तब्दील हो गया।

इतिहास की बात करें तो तिरुचनूर पल्लव और चोला राजवंशों के अधीन रहा है। अपने शासन काल के दौरान पल्लव राजवंश ने इसे तिरुवेंकटम का हिस्सा बनाया था और चोला राजवंश ने तिरुचनूर को राजेंद्र चोलामंडलम का हिस्सा बनाया था।

पद्मावती मंदिर की वास्तुकला शैली कैसी है?

पद्मावती मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला शैली के द्वारा किया गया है। यह एक विशाल मंदिर है और मंदिर परिसर भी काफी विशाल है। पुष्करिणी और प्रसाद ग्रहण करने के लिए अलग से परिसर का निर्माण किया गया है।

मंदिर के समीप ही एक सुन्दर तालाब है जिसका नाम पद्मसरोवर है। मंदिर परिसर में दो अन्य मंदिर हैं जो इस प्रकार है – श्री कृष्ण स्वामी मंदिर और श्री सुंदरराजस्वामी मंदिर। यह दोनों मुख्य मंदिर के भीतर दो उपमंदिर हैं।

देवी पद्मावती माँ लक्ष्मी का ही एक रूप हैं जो भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी की सहगामिनी के रूप में प्रकट हुई थीं। मंदिर में देवी पद्मावती की मूर्ती का मुख पूर्व दिशा की ओर स्थापित किया गया है।

देवी पद्मावती की पूजा कैसे करें? - devee padmaavatee kee pooja kaise karen?

पद्मावती मंदिर का धार्मिक महत्त्व क्या है?

जैसे कि आप जानते हैं श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी को दक्षिण भारत में बहुत ही सत्कार से पूजा जाता है। बल्कि पूरे भारत और दुनिया से भी लोग उनके दर्शन के लिए तिरुपति आते हैं। उसी प्रकार देवी लक्ष्मी का रूप देवी पद्मावती भी श्रद्धालुओं के लिए पूजनीय हैं।

यह मंदिर श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी के मंदिर से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जो कोई भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी के दर्शन के लिए आता है वह श्रद्धालु देवी माँ पद्मावती के दर्शन ज़रूर करता है। यही वजह है कि यह मंदिर हिन्दू श्रद्धालुओं में बहुत महत्वपूर्ण है।

पद्मावती मंदिर में दर्शन का समय क्या है?

पद्मावती मंदिर में देवी माँ पद्मावती जी के दर्शन का समय सुबह लगभग 7:30 से शाम लगभग 6:00 तक होता है। इसलिए अपने समयनुसार आप देवी माँ के दर्शन करने जा सकते हैं। यह मंदिर “तिरुमला तिरुपति देवस्थानम” प्रशासन के अधीन आता है। दर्शन का समय मंदिर प्रशासन के द्वारा समय समय पर बदला भी जा सकता है।

कृपया कर के निचे दी गयी पद्मावती मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट से ज़रूर जांचें।

पद्मावती मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट

पद्मावती मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है?

पद्मावती मंदिर तक पहुंचना बहुत ही आसान है। पद्मावती मंदिर तिरुचनूर में स्थित है और तिरुचनूर तिरुपति से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत के किसी भी कोने से आप तिरुपति पहुँच सकते हैं।

आप भारतीय रेल द्वारा सफर कर के तिरुपति रेलवे स्टेशन पहुँच सकते हैं या फिर हवाई मार्ग से भी आप तिरुपति अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट तक आसानी से पहुँच सकते हैं। यहाँ से पद्मावती मंदिर में देवी माँ के दर्शन के लिए आप सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। आपको यहाँ आसानी से तिरुचनूर के लिए बस की सुविधा मिल जाएगी।

निष्कर्ष

तो इस लेख में हमने पद्मावती मंदिर के बारे में जाना और साथ ही मंदिर से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और आपके ज्ञान में इससे वृद्धि हुई होगी।

खुश रहे, स्वस्थ रह…

जय श्री कृष्ण!

पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर – PDF Download


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