पंथनिरपेक्ष राज्य से आशय यह है कि राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हैं और धर्म , पंथ एवं उपासना रीति के आधार पर राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करेगा। राष्ट्रीय स्वतंत्रा संग्राम के दौरान ही भारत मे सांप्रदायिक कटुता का विस्तार हो चुका था। तथा देश का विभाजन इसकी चरम परिणीति थी।।स्वतंत्रा प्राप्ति के बाद नवजात लोकतंत्र को सम्प्रदायवाद के घातक प्रभावों से मुक्त रखने के लिए यह आवश्यक समझा गया कि धर्म या पंथ को राजनीतिक से अलग रखा जाए।। [1][2][3]राज्य द्वारा सभी को अपने-अपने ढंग से संस्कृति का विकास और धार्मिक अध्ययन प्राप्त करने की छूट दी गई है।भारतीय राज्य एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। Show
सन्दर्भ[संपादित करें]
पंथनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं?...चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आप अपने पंथ निरपेक्षता से आप क्या समझती है तो देखिए इसका जवाब है पंथ निरपेक्षता का अर्थ होते हैं कि राज्य हैं सभी धर्म समान है राज्य सभी धर्मों को समान मानते हैं किसी भी धर्म पंथ या रीति के अनुसार राज्य किसी के साथ है वह भेदभाव नहीं करेगा सभी को धर्म की उपासना की स्वीकृति धर्म समान होगी इस प्रकार के हैं वह पंथनिरपेक्ष कहा जाता है कि मारवाड़ देश है वह पंथनिरपेक्ष राज्य है इसलिए कि इसमें सभी धर्म समान है सभी धर्मों का आदर करते हैं कोई भी धर्म के ऊपर या नीचे नहीं और किसी धर्म को है वह उन शनि शनि मंत्र किसी धर्म को संरक्षण प्रदान करता है सभी धर्मों को समान रूप से संरक्षण प्रदान है Romanized Version 2 जवाब This Question Also Answers:
Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App! धर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता में अंतर | DHARMPIRPAKSH AND PANTHNIRPAKSH IN HINDIधर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता —यह एक ऐसा मुद्दा है जो समय समय पर समाचारों या आम चर्चा में उठता ही रहता हैं ; और हर बार देश की बहुत बड़ी आबादी को यह सोचने में मजबूर कर देता है कि आख़िर धर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता में अंतर क्या हैं। दोनो ही अंग्रेजी के (secularism) सेकुलरिज्म के हिंदी अनुवाद हैं। सबसे बड़ा confusion( असमंजस) तो यही होता है कि एक शब्द के अलग अलग अनुवाद कैसे ? और उनके अर्थ भी अलग अलग कैसे ? शाब्दिक अर्थ –धर्मनिरपेक्ष –शासन सत्ता का धर्म से निरपेक्ष होना या शासन सत्ता का धर्म से अलग होना या शासन सत्ता का धर्म मे और धर्म का शासन सत्ता में कोई दख़ल न होना ।पंथनिरपेक्षता –शासन सत्ता के लिए सभी धर्मों का समान होना / किसी धर्म के साथ भेदभाव न करना मतलब सर्वधर्म समभाव की भावना ही पंथनिरपेक्षता हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –पश्चिम देशो में –Secularism या धर्मनिरपेक्षता शब्द की उत्पत्ति पश्चिम के देशों में हुई थी । पश्चिम के देशों में एक समय मे चर्च (धर्म) का शासन सत्ता में दख़ल प्रत्यक्ष तौर पर अत्यधिक हुआ करता था। एक तरह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर चर्च ही शासन करता हुआ प्रतीत होता था । चर्च के नियमों को न मानने पर दंड देने का भी प्रावधान था। अतः पश्चिम देशों में secularism की उत्पत्ति धर्म को शासन सत्ता से अलग रखने के लिए की गई थी । मतलब secularism का अर्थ शासन सत्ता का धर्म मे और धर्म का शासन सत्ता में कोई दख़ल नही होगा। इसलिए ही इसे नकारात्मक अवधारणा कहा जाता हैं। भारतीय आधार पर –वही भारत में जब संविधान का अनुवाद हिंदी में किया जा रहा था तो अनुवादक मंडल के सामने ये सबसे बड़ा प्रश्न था कि secularism का अनुवाद क्या किया जाए ; क्योंकि अगर धर्मनिरपेक्षता करते है तो संविधान अनुवादक मंडल को एक confusion असमंजस नज़र आ रहा था। वो था कि भारत मे धर्म का एक विस्तृत अर्थ लिया जाता है जैसे सही कार्य करने को भी धर्म , सही आचरण करने को भी धर्म , सुनीति पर चलने को भी धर्म , उत्तम व्यवहार आदि को भी धर्म ही माना जाता हैं।आमतौर पर आम बोलचाल में भी धर्म शब्द का प्रयोग संकुचित रूप में न करके विस्तृत रूप में किया जाता हैं। ऐसे में secularism का मतलब धर्म निरपेक्षता लेना आम जनता सोच सकती थी कि इन सभी कार्यो से शासन सत्ता का निरपेक्ष रहना । जिसके परिणाम अनुचित हो सकते थे। विस्तृत रूप में समझे तो भारत मे पश्चिम की तरह कभी भी धर्म का शासन सत्ता में दख़ल नही रहा हैं । भारत मे प्राचीन काल से ही सत्ता पर धर्म का वर्चस्व न रहकर यहाँ सभी धर्मों को सम्मान की भावना से देखा गया हैं।
अर्थात भारत मे secularism का तात्पर्य शासन सत्ता का धर्म से निरपेक्ष न रहना नहीं हैं बल्कि शासन सत्ता द्वारा सभी धर्मों को समान समझने से है; मतलब सभी धर्मों को समान आदर सत्कार देना । इसलिए ही पंथ निरपेक्षता को सकारात्मक अवधारणा कहा जाता हैं। इस प्रकार हम पूर्ण रूप से कह सकते है कि पश्चिम देशो का secularism और भारतीय संदर्भ में secularism समान नही हैं । इसीलिए भारतीय संविधान मंडल ने secularism का अनुवाद धर्मनिरपेक्ष न करके पंथ निरपेक्ष रखने की बात कही थी। Search Terms – धर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता का मतलब | DHARMPIRPAKSH AND PANTHNIRPAKSH IN HINDI | धर्मनिरपेक्षता का तात्पर्य | पंथनिरपेक्षता का मतलब | धर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता में अंतर Read Also – क्या भारतीय संविधान अन्य देशो के संविधान का कॉपी पेस्ट हैं ? Is Indian Constitution copy paste of other countries constitution ? | Interesting facts about constitution Read Also – इजराइल और फिलिस्तीन संघर्षो का इतिहास | HISTORY OF ISRAEL AND PALESTINE CONFLICT IN HINDI पंथनिरपेक्षता से क्या आप समझते हैं?पंथनिरपेक्ष राज्य से आशय यह है कि राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हैं और धर्म , पंथ एवं उपासना रीति के आधार पर राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करेगा।
धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष क्या है?1. धर्म निरपेक्ष का अर्थ है नैतिकता से निरपेक्ष होना जबकि पंथनिरपेक्ष का अर्थ है किसी मजहव विशेष के प्रति भेदभाव न करना इस दृष्टि से धर्म निरपेक्षता एक अनुचित धारणा है जबकि पंथनिरपेक्षता उचित है। 2. धर्मनिरपेक्षता का आशय है कि राज्य सभी धर्मो से दूरी बनाकर रहे।
भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है कैसे?भारत को पंथनिरपेक्ष राज्य इसलिए कहा गया है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर किसी एक धर्म को नहीं माना जाता बल्कि सभी धर्मों को समानता प्रदान को जाती है। ... पंथनिरपेक्षता या धर्मनिरपेक्षता का एक ही अर्थ है वह है हर धर्म को समान लेकर चलना और हर धर्म को समान महत्व देना।
|