रहीम मन की व्यथा को अपने मन में ही रखने के लिए क्यों कहते हैं? - raheem man kee vyatha ko apane man mein hee rakhane ke lie kyon kahate hain?

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय

आध्यात्मिक डायरी में जोड़ें।

रहीम मन की व्यथा को अपने मन में ही रखने के लिए क्यों कहते हैं? - raheem man kee vyatha ko apane man mein hee rakhane ke lie kyon kahate hain?

1/3

1

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय.

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय.

2/3

2

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय.

अर्थ : रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.

3/3

3

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय.

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय. अर्थ : रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.

  • समग्र
  • स्पीकिंग ट्री
  • मेरी प्रोफाइल

By Avinash Ranjan Gupta

प्रश्नअभ्यास

1 -  निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?

(ख) हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?

(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?

(च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

(छ) नटकिस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

(ज) मोती, मानुष, चूनके संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।

1.  प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति नहीं हो पाता क्योंकि प्रेम आपसी विश्वास और एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना से जुड़ा होता है और जब इसमें कड़वाहट आ जाती है तो पहले की भाँति  न तो एक दूसरे के प्रति आपसी विश्वास रहता है और न ही एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना। अत: रिश्ते में गाँठ पड़ जाती है। 

2.  हमें अपना दुख दूसरों के सामने नहीं प्रकट करना चाहिए क्योंकि इससे लोगों को हमारी कमजोरी का पता चल जाता है और वक्त बेवक्त वे हमारी ही समस्या के बारे में हमसे बातें करके हमारे दुख को और भी दोगुना कर देते हैं। साथ ही साथ उनका व्यवहार भी हमारे प्रति बदल जाता है, वे हमारा मज़ाक उड़ाते हैं और सभा तथा दोस्तों की मंडली में हमारी ही चर्चा करने लगते हैं जैसे कि उन्हें हमारी बेबसी व मजबूरी की बहुत चिंता है।     

3.  रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को अधिक धन्य माना है क्योंकि पंक  जल से अनेक जीवों की प्यास बुझ जाती हैं  जबकि सागर किसी भी थलीय जीव की प्यास नहीं बुझा पाता है। रहीम के मतानुसार धनी वे नहीं हैं जिन्होंने बहुत सारा धन इकट्ठा किया हो बल्कि धनी तो सही मायनों में वो हैं जिसने परोपकार के लिए धन व्यय किया हो।  

4.  एक को साधने से सब सध जाता है इस कथन का अर्थ यह यह है कि हमें अपने जीवन का एक ही लक्ष्य बनाना चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी चाहिए। जब हमें हमारा लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा तब हम अपनी सारी इच्छाएँ पूरी कर सकते हैं। कहा भी गया है कि अगर आप एक साथ दो खरगोशों को पकड़ने का प्रयास करेंगे तो एक भी हाथ नहीं आएगा।  

5.  जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी नहीं कर पाता क्योंकि जल ही कमल की असली संपत्ति है। जल से ही उसका अस्तित्व जुड़ा होता है। यहाँ सूर्य की किरणें उसे पूर्ण प्रस्फुटित होने में मदद तो करती हैं परंतु जब जल ही न रहे तो कमल खिलेगा कहाँ? अर्थात मनुष्य के दुख का पहला साथी उसका अपना संचित किया हुआ धन है न कि सगे-संबंधी। 

6.  अवध नरेश को चित्रकूट जाना पड़ा क्योंकि वे अपने पिता के वचनों का मान रखने के लिए 14 वर्षों का वनवास स्वीकार किए थे।

7.  नट कुंडली को समेटकर झट से ऊपर चढ़ जाने की कला में सिद्ध होता है।

8.  रहीम कह रहे हैं कि पानी का बहुत महत्त्व है पानी के बिना मोती मोती नहीं रह जाता। अर्थात जब मोती की चमक चली जाती है तो वह अपना मूल्य खो बैठता है, उसी प्रकार अगर किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा चली जाए तो वह समाज में नज़रें ऊँची करके नहीं चल सकता और अगर आटे में पानी न मिलाया जाए तो रोटी बना पाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।  इसलिए रहीम कह रहे हैं कि मोती के संदर्भ में चमक, मनुष्य के संदर्भ में इज्ज़त और आटे  के संदर्भ में पानी का बहुत महत्त्व होता है।

2 -  निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -

(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

(छ) पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।

1.  प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि प्रेम का संबंध एक बार टूटने से वह फिर नहीं जुड़ता है और अगर जुड़ भी जाए तो  कभी भी पहले जैसा मधुर नहीं हो पाता।

2.  प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से रहीम हमें यह बता रहे हैं कि हमें कभी भी अपना दुख दूसरों को नहीं बताना चाहिए। ऐसा करने पर एक तो उन्हें हमारी कमजोरी का पता चल जाएगा और दूसरा वे हमारा मज़ाक भी बनाएँगे। 

3.  प्रस्तुत पंक्तियों में रहीम हमें जीवनोपयोगी उपदेश देते हुए कह रहे हैं कि हमें अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक कर देना चाहिए। ऐसा करने से हमें सफलता अवश्य मिलेगी। 

4.  प्रस्तुत पंक्तियों में रहीम कह रहें हैं कि दोहे में शब्द भले ही थोड़े हो मगर उनके अर्थ बड़े और विशेष होते हैं जिन्हें हमें समयानुसार अपने प्रतिदिन के जीवन में उतारना चाहिए।

5.  प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि संगीत पर मोहित होकर हिरण अपने प्राण तक न्योछावर कर देती है और संगीत की महानता और गहराइयों को समझने वाला प्रेमी हृदय अपने आपको धन सहित समर्पित कर देता है। 

6.  प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से रहीम हमें यह बता रहे हैं कि हमें सभी को समान दृष्टि से देखना चाहिए। अपनी-अपनी जगह पर सबकी उपयोगिता बनी हुई है जैसे जहाँ हमें सुई की आवश्यकता होगी वहाँ तलवार का प्रयोग नहीं किया जा सकता।  

7.  प्रस्तुत पंक्तियों में रहीम हमें जीवनोपयोगी उपदेश देते हुए कह रहे हैं कि हमें अपनी प्रतिष्ठा को सदैव बनाए रखना चाहिए। यह प्रतिष्ठा उस जल की तरह होती है जो एक बार नीचे गिर जाने के बाद नहीं उठ सकती।  

3 -  निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है -

(क) जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।

(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।

(ग) पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।

क.                       चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवधनरेस।

       जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।।

ख.                      रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।

       टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

ग.  रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।

       पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।

रहीम िी ने अपने मन की व्यथा मन में ही रखने को क्यों कहा है?

(ख) कवि अपने मन की व्यथा छिपाकर रखने को कहता है क्योंकि इसके कहने या प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। इसे सुनकर वे प्रसन्न होते हैं पर बाँटने कोई नहीं आता। लोग दूसरे के दुख में मज़ा लेते हैं। वे किसी की सहायता नहीं करते।

हमें अपने मन की व्यथा को छुपाकर क्यों रखना चाहिए?

प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि हमे अपने मन की व्यथा को अपने मन में ही छुपाकर रखना चाहिए क्योंकि हमारे दुःख दर्द को बांटने वाला इस दुनिया में कोई नही है , दुःख दर्द बाटने की बजाये सब हँसी उड़ाएंगे इसिलिए कवी की सोच है कि हमे अपने मन में सारी दुःख दर्द को छुपाये रखो ।

रहीम मन की व्यथा के बारे में क्या परामर्श दे रहे है?

रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय। सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥ अपने दु:ख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दु:ख को कोई बांटता नहीं है।

रहीम के अनुसार अपनी व्यथा दूसरों से साझा क्यों नहीं करनी चाहिए?

Answer: रहीम के अनुसार अपनी व्यवस्था इसलिए नहीं कहनी चाहिए क्यूंकि वे हमारी व्यवस्था को सुनकर हमारे सामने तो नाटक करेंगे और बाद में हमारा मजाक उड़ाएं जी। वे हमारे दुख को बात भी नहीं सकते है।