समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है। Show
किसी भी समाज में बहुसंख्यक के आतंक का खतरा बना रहता है। बहुसंख्यक का आतंक न केवल अल्पसंख्यक समूह को तबाह करता है बल्कि स्वयं को भी तबाह करता है। सत्ता की साझेदारी के माध्यम से बहुसंख्यक के आतंक से बचा जा सकता है। लोगों की आवाज ही लोकतांत्रिक सरकार की नींव बनाती है। इसलिये यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है। सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण। सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण है समाज में टकराव और बहुसंख्यक के आतंक को रोकना। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण है लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना। सत्ता की साझेदारी एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें समाज के प्रत्येक समुदाय ओर नागरिक की हिस्सेदारी होती है। इसे सत्ता की साझेदारी के नाम से जानते हैं। सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का आधार है। अर्थात लोकतंत्र का मूल तत्व है। जो भागीदारी के द्वारा संभव होती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में उनसे सलाह ले जाने का अधिकार रहता है। सत्ता की साझेदारीसत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है ?समाज (society ) में सौहार्द्र अर्थात मित्रता और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी बहुत जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव की स्थिति बहुत काम होती हे और सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण भी है। समाज में टकराव और बहु-संख्यक आतंक को रोकना है। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण अर्थात नीति के साथ व्यवहार जिससे समाज में सहभागिता हो, लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण यर्थात सदैव बना रहे। बेल्जियम में देश की कुल आबादी का 59 प्रतिशत हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। चालीस प्रतिशत लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते है और फ्रेंच बोलते है। श्रीलंका में सिंहलियों की संख्या कुल जनसंख्या का 74 प्रतिशत है।श्रीलंका में 1956 में एक कानून द्वारा सिहंली को राजभाषा घोषित कर दिया। सन् 1948 में श्रीलंका स्वतन्त्र राष्ट्र बना तथा सिहंली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। सन् 1956 में कानून बनाकर सिंहली को एक मात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। बेल्जियम ने समझदारी का परिचय दिया और अपने संविधान में संशोधन करके ऐसा प्रावधान किया कि किसी को बेगानेपन का अहसास न हो।बेल्जियम मॉडल को आदर्श मानते हुए यूरोपीय देशों ने यूरोपीय संघ का मुख्यालय ब्रूसेल्स को बनाया। चलिए पढ़ते हैं Satta Ki Sajhedari Class 10 के बारे में विस्तार से। टेक्स्ट बुकNCERTपुस्तककक्षा 10विषयलोकतांत्रिक राजनीतिपाठपाठ 1पाठ का नामसत्ता की साझेदारीमीडियमहिंदीThis Blog Includes:
ज़रूर पढ़ें: CBSE Class 10 Hindi Syllabus सत्ता की साझेदारीसत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये। भारत में सत्ता की साझेदारीहमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसलिए भारत के नागरिक प्रत्यक्ष मताधिकार का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। उसके बाद चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा एक सरकार का चुनाव किया जाता है। फिर चुनी हुई सरकार अपने विभिन्न कर्तव्यों का पालन करती है, जैसे रोजमर्रा का शासन चलाना, नये नियम बनाना, पुराने नियमों का संशोधन करना, आदि। लोकतंत्र में जनता ही हर तरह की राजनैतिक शक्ति का स्रोत होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं द्वारा अपने आप पर शासन करते हैं। ऐसी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों और मतों को उचित सम्मान मिलता है। जन नीतियों का निर्माण करते समय हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा संभवत: अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो। ज़रूर पढ़ें: Bade Bhai Sahab Class 10 सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
ऊपर दिये गये पहले दो कारण हैं, समझदारी भरे कारण, और अंतिम कारण है सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण। सत्ता की साझेदारी के रूपशासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा: सत्ता के विभिन्न अंग हैं; विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इन अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे से ये अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। इस तरह के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज बँटवारा कहते हैं। इस तरह के बँटवारे से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी एक अंग के पास असीमित शक्ति नहीं रहती है। इससे विभिन्न संस्थानों के बीच शक्ति का संतुलन बना रहता है। सत्ता के उपयोग का अधिकार कार्यपालिका के पास होता है, लेकिन कार्यपालिका संसद के अधीन होती है। संसद के पास कानून बनाने का अधिकार होता है, लेकिन संसद को जनता को जवाब देना होता है। न्यायपालिका स्वतंत्र रहती है। न्यायपालिका यह देखती है कि विधायिका और कार्यपालिका द्वारा सभी नियमों का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है। विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवाराभारत एक विशाल देश है। इतने बड़े देश में सरकार चलाने के लिए सत्ता की विकेंद्रीकरण जरूरी हो जाता है। हमारे देश में सरकार के दो मुख्य स्तर होते हैं: केंद्र सरकार और राज्य सरकार। पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होती है, तथा गणराज्य की विभिन्न इकाइयों की जिम्मेदारी राज्य सरकारें लेती हैं। दोनों के अधिकार क्षेत्र में अलग अलग विषय होते हैं। कुछ विषय साझा लिस्ट में रहते हैं। सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: हमारे देश में विविधता भरी पड़ी है। इस देश में अनगिनत सामाजिक, भाषाई, धार्मिक और जातीय समूह हैं। इन विविध समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा जरूरी हो जाता है। इस प्रकार के बँटवारे का एक उदाहरण है, समाज के पिछ्ड़े वर्ग के लोगों को मिलने वाला आरक्षण। इस प्रकार के आरक्षण से पिछ्ड़े वर्ग का सरकार में सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है। ज़रूर पढ़ें: मैं क्यों लिखता हूं Class 10th Solutions विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवाराराजनैतिक पार्टियों के बीच सत्ता का बँटवारा: सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी या सबसे बड़े राजनैतिक गठबंधन को सरकार बनाने का मौका मिलता है। इसके बाद जो पार्टियाँ बच जाती हैं, उनसे विपक्ष बनता है। विपक्ष की जिम्मेदारी होती है यह सुनिश्चित करना कि सत्ताधारी पार्टी लोगों की इच्छा के अनुरूप काम करे। इसके अलावा कई तरह की कमेटियाँ बनती हैं जिनके अध्यक्ष और सदस्य अलग-अलग पार्टियों से होते हैं। दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: एसोचैम, छात्र संगठन, मजदूर यूनियन, आदि विभिन्न प्रकार के दबाव समूह हैं। इन संगठनों के प्रतिनिधि कई नीति निर्धारक अंगों का हिस्सा बनते हैं। इससे इन दबाव समूहों को सत्ता में साझेदारी मिलती है। सत्ता की साझेदारी के लाभसत्ता की साझेदारी के लाभ नीचे दिए गए हैं-
प्रश्न-उत्तरआधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें। उत्तर: आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के निम्न तरीके हैं” भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ। उत्तर: युक्तिपरक कारण: सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव कम करने में मदद मिलती है। इसलिये सामाजिक सौहार्द्र और शांति बनाए रखने के लिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है। नैतिक कारण: लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना। इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें। उत्तर: मैं औसेफ से सहमत हूँ। हम जानते हैं कि लोकतंत्र की मूल भावना है लोगों के हाथ में सत्ता देना। सत्ता की साझेदारी करके हम लोकतंत्र की मूल भावना का सम्मान करते हैं। यदि सत्ता की साझेदारी नहीं होती है तो सत्ता कुछ चुनिंदा हाथों तक ही सीमित रह जाती है। ऐसी स्थिति से तानाशाही का जन्म होता है जिससे लोकतंत्र की हत्या हो जाती है। बेल्जियम में ब्रूसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें। उत्तर: बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी के तहत डच भाषी और डच भाषा न बोलने वालों को बराबर की हिस्सेदारी दी गई है। ब्रूसेल्स की सरकार में फ्रेंच भाषी और डच भाषी लोगों में सत्ता का बराबर बँटवारा है। इससे पता चलता है कि दोनों समूहों में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना है। इसलिये फ्रेंच भाषा वाले स्कूलों पर बैन लगाकर गलत किया है। नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपकर कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें। उत्तर: इस उद्धरण में सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी की बात की गई है जो सत्ता की साझेदारी का एक युक्तिपरक कारण है। सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें। उत्तर: a, b, d, f बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें: बेल्जियम में डच भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया। सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए प्रश्न का जवाब दे: उत्तर: दोनों बयान सही हैं। सामाजिक विभाजन से आप क्या समझते हैं? उत्तर- विविधता विकासशील समाजों की विशेषता है। एक देश या क्षेत्र में निवास करने वाले जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोगों के बीच, जो विभिन्नताएँ होती हैं, वे सामाजिक विभेद कहलाती है। परन्तु धन, रंग, क्षेत्र का विभेद सामाजिक विभाजन का रूप लेता है। भारत में सवर्ण और दलित, गोरे-काले या गरीब-अमीर का विभेद सामाजिक विभेद है। सांप्रदायिकता क्या है? उत्तर- जब समाज में एक धर्म के लोग दूसरे धर्म को छोटा एवं अपने धर्म को सर्वोच्च समझने लगते हैं तो समाज में धार्मिक आधार पर बिलगाव उत्पन्न होती है। इसी अवधारणा को सांप्रदायिकता कहते हैं। यह किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। साम्प्रदायिक सद्भाव को प्रोत्साहित करने के लिए आप क्या करेंगे? उत्तर- भारत में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति के कारण सांप्रदायिक सद्भाव के स्थान पर सांप्रदायिक संघर्ष का जन्म होता है। सांप्रदायिक सद्भाव के लिए शिक्षा व जागरूकता का विकास, विभिन्न धर्मों के लोगों में आपसी समझ का विकास तथा धर्म के राजनीतिक उपयोग पर रोक लगाना आवश्यक है। संघीय व्यवस्था राष्ट्रीय एकता के संवर्द्धन में सहायक है। कैसे? उत्तर- भारत में संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की गई है। संविधान की रचना करते समय हमारे राष्ट्रीय नेता देश की एकता के प्रति चिंतित थे। हमारी ऐतिहासिक और भौगोलिक परिस्थितियों ने हमें संघीय व्यवस्था अपनाने के लिए बाध्य किया। यदि आजादी के प्रारंभ से ही हमारी संघीय व्यवस्था की नींव कमजोर होती तो राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ जाती। उस समय देश-विभाजन के कारण जातीयता, धार्मिक एवं साम्प्रदायिक उन्माद एवं क्षेत्रीय भावना चरम पर थी। स्वत: ऐसी विकट परिस्थितियों में मजबूत संघीय व्यवस्था की स्थापना कर ही साम्प्रदायिक सद्भाव कायम रखा जा सकता था ताकि देश की एकता एवं अखंडता अक्षुण्ण रह सके। इसलिए केंद्र को शक्तिशाली बनाया गया। सामाजिक विभेद किस प्रकार सामाजिक विभाजन के लिए उत्तरदायी है? उत्तर- वास्तव में सामाजिक विभेद सामाजिक विभाजन, और सामाजिक संघर्ष के लिए मूल रूप से उत्तरदायी होता है। प्रत्येक समाज में विभिन्न जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र के लोग निवास करते हैं। सामाजिक विभेद का मूल कारण जन्म को माना जाता । विविधता अच्छी चीज है, परंतु यह राष्ट्र के लिए घातक भी है। धर्म, क्षेत्र, भाषा, सप्रदाय आदि के नाम पर आपस में उलझना राष्ट्र को कमजोर बनाना और सामाजिक विभाजन के खतरे बढ़ जाते हैं। अतः सामाजिक विभेद को मिटाकर ही सामाजिक विभाजन को रोका जा सकता है। सामाजिक विभेद और सामाजिक विभाजन में अंतर बताएँ? उत्तर- विविधता विकासशील समाजों की विशेषता है। एक देश या क्षेत्र में निवास करने वाले जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोगों के बीच, जो विभिन्नता को वे सामाजिक विभेद कहलाती है। परन्तु धन, रंग, क्षेत्र का विभेद सामाजिक विभाजन का रूप ले लेता है। भारत में सवर्ण और दलित, गोरे-काले या गरीब-अमीर का विभेद सामाजिक विभेद है। वंशवाद से क्या समझते हैं ? उत्तर- भारत के सभी राजनीतिक दलों में नेतृत्व का संकट है। अधिकांश राजनीतिक दलों में कोई ऐसा नेता नहीं है, जो सर्वमान्य हो। प्रायः सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को यह देखा गया है कि शीर्ष पर बैठे नेता अपने संगे-संबंधियों. दोस्तों और रिश्तेदारों को दल के प्रमुख पदों पर बैठाते हैं और यह सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहता है। वंशवाद की समाप्ति राजनीतिक दलों के सामने प्रमुख चुनौती है। ज़रूर पढ़ें: दसवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें प्रश्न : निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए लिस्ट 1लिस्ट 21. सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवाराa) सामुदायिक सरकार2. विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों का बँटवाराb) अधिकारों का वितरण3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारीc) गठबंधन सरकार4. दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारीd) संघीय सरकारउत्तर: 1 – b, 2 – d, 3 – a, 4 – c ज़रूर पढ़ें: ऐसे करें बोर्ड परीक्षा की तैयारी MCQs1. भारत में कहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है? उत्तर-(घ) 2. वित्तीय राजधानी के रूप में जानी जाती है- उत्तर-(ग) 3. निम्नलिखित में कौन केन्द्र शासित प्रदेश है? उत्तर-(ग) 4. निम्नलिखित व्यक्तियों में कौन लोकतंत्र में रंगभेद के विरोधी नहीं थे? उत्तर-(घ) 5. भारत में किस तरह के लोकतंत्र की व्यवस्था की गई है? उत्तर-(ख) 6. भारत में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है? उत्तर-(ख) 7. दलित और महादलित की एक नई पहचान बना है- उत्तर-(ग) 8. भारत में सामाजिक विभाजन है- उत्तर-(क) 9. लोकतंत्र एक शासन व्यवस्था है- उत्तर-(घ) 10. मुम्बई में उत्तर भारतीय हिन्दी भाषी लोग जाने जाते हैं- उत्तर-(क) 11. ‘लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है’ यह कथन किसका है? उत्तर-(ख) 12. संघ सरकार का उदाहरण है- उत्तर (क) 13. 2011 की जनगणना अनुसार, भारत में कितने प्रतिशत साक्षर हैं? उत्तर-(ग) 14. 18 वर्ष की आयु पर स्विट्जरलैंड में महिलाओं को मताधिकार कब प्रदान किया गया? उत्तर-(ख) 15. सांप्रदायिक राजनीति किस पर आधारित है? उत्तर-(ग) 16. किस देश को सामाजिक विभेद के कारण विखण्डन का सामना करना पड़ा? उत्तर-(क) 17. निम्नलिखित में भारत के लिए का यहाँ धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत है। सा कथन सही है? उत्तर-(क) 18. भारत में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियर कुब बना? उत्तर-(घ) 19. धर्म को समृदाय का मुख्य आधार माननेवाला व्यक्ति क्या कहलाता है? उत्तर-(ख) 20. किस देश में तमिलों की समस्या हाल तक बनी हुई थी? उत्तर-(क) 21. बेल्जियम देश किस महाद्वीप में है ? A- एशिया उत्तर: B 22. बेल्जियम की सीमा किन किन देशों से लगती है ? A- फ्रांस उत्तर- D 23. बेल्जियम की राजधानी क्या है ? A- वियना उत्तर- B 24. श्रीलंका में किनकी जनसंख्या अधिक है ? A- तमिल उत्तर- C 25. श्रीलंका कब आजाद हुआ ? A- 1946 उत्तर- C Check Out: हिंदी व्याकरण – Leverage Edu के साथ संपूर्ण हिंदी व्याकरण FAQsसत्ता की साझेदारी कक्षा 10 में कितने देशों के बारे में बताया गया है? सत्ता की साझेदारी कक्षा 10 में 2 देशों के बारे में बताया गया है। सत्ता की साझेदारी कक्षा 10 में बताए गए देशों के नाम बताएं? बेल्जियम और श्रीलंका। श्रीलंका में सिंहलियों की संख्या कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत है? श्रीलंका में सिंहलियों की संख्या कुल जनसंख्या 74 प्रतिशत है। दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी क्या कहलाती है? दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी को सत्ता का क्षैतिज बंटवारा कहते हैं। कौन सा देश सत्ता में भागीदारी का सिस्टम प्रतिमान है? श्रीलंका सत्ता में भागीदारी का सिस्टम प्रतिमान है। लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी? सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है। आशा है कि इस ब्लॉग से आपको Satta Ki Sajhedari Class 10 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। सत्ता की साझेदारी की क्या आवश्यकता है?सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है।
सत्ता की साझेदारी के दो कारण क्या है?Solution : सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण।
सत्ता की साझेदारी किसकी आत्मा है?<br> (ii) लोकतंत्र की आत्मा-सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ ही होता है कि जो लोग इस शासन-व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढरें से रहें।
सत्ता क्यों?सत्ता की साझेदारी जरुरी है क्यूंकि वह एक ऐसी शासन व्यवस्था है जहाँ समाज के सभी वर्गों से लोगों का हिस्सा सरकार में होती है। इसे लोकतंत्र का मन्त्र कहते हैं। सत्ता की साझेदारी को किसी भी देश के गणतंत्र व्यवस्था का मन्त्र कहा जाता है। हमारे समाज में शांति और भाईचारा बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी आवश्यक है।
|